इंदौर की अंकिता और सिहोरा के हसनैन की शादी पर रोक, पिता की अपील पर हाईकोर्ट का निर्णय
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने एक हिंदू युवती और मुस्लिम युवक की विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी पर रोक लगा दी है। एकलपीठ द्वारा पारित आदेश पर भी स्थगन जारी करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी किए गए हैं।
गौरतलब है कि इंदौर निवासी अंकिता ठाकुर और सिहोरा निवासी हसनैन अंसारी ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी याचिका में कहा गया था कि उन्होंने विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के लिए कलेक्टर जबलपुर कार्यालय में आवेदन किया था, जिसके बाद से लड़की के परिवार और धार्मिक संगठनों का विरोध शुरू हो गया। इसके चलते उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है।
Media error: Format(s) not supported or source(s) not found
Download File: https://dindianews.com/wp-content/uploads/2024/11/Untitled.mp4?_=1याचिकाकर्ताओं की ओर से एकलपीठ को बताया गया था कि दोनों के बीच पिछले चार साल से प्रेम संबंध हैं और वे एक साल से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे हैं। दोनों अपनी मर्जी से शादी करना चाहते हैं और हर व्यक्ति को अपने जीवन के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार है। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ताओं को खतरा है, इसलिए पुलिस अधीक्षक जबलपुर उन्हें सुरक्षा प्रदान करें। पुलिस, युवती को जबलपुर स्थित राजकुमार बाई बाल निकेतन में रखेगी। लड़की को पुलिस सुरक्षा में विशेष विवाह अधिनियम के तहत बयान दर्ज करवाने के लिए 12 नवंबर को कलेक्टर कार्यालय में प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि वह हसनैन से विवाह करने के संबंध में विचार कर सके। इस दौरान हसनैन या उसके परिवार वाले उससे संपर्क नहीं करेंगे।
एकलपीठ के आदेश और विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी की प्रक्रिया को रोकने के लिए लड़की के पिता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। अपील में कहा गया था कि याचिका की सुनवाई 4 नवंबर को निर्धारित थी और बिना उनका पक्ष सुने एकलपीठ ने आदेश जारी कर दिया। अपील में हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत हुआ विवाह भी मुस्लिम कानून के तहत मान्य नहीं होगा, क्योंकि मुस्लिम समाज में अग्नि और मूर्ति पूजन करने वालों से विवाह स्वीकार्य नहीं है। मुस्लिम कानून में चार विवाहों की मान्यता है, जबकि हिंदू विवाह अधिनियम में केवल एक विवाह मान्य है। युगलपीठ ने अपील की सुनवाई करते हुए उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अशोक लालवानी ने पैरवी की।