जनपद पंचायत नैनपुर, भुआ बिछिया, के बाद निवास बी ई औ कार्यालय का कम्प्यूटर ऑपरेटर निकाला लाखों के भ्रष्टाचार ग़बन घोटाला का मास्टरमाइंड…

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रेवांचल टाईम्स – आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला धीरे धीरे भ्रष्टाचार, ग़बन, औऱ घोटाला के नाम से जाना जायेगा जहाँ पर अधिकारियों के द्वारा पद का दुरूपयोग करके अनिमित्तये करने वाले भ्रस्टो का गढ़ बनता जा रहा है और ये सब जिम्मदारों की कर गुजरी का नतीजा है, जो कि जनपद पंचायत नैनपुर में कंप्यूटर ऑपरेटर ने लाखों करोड़ों का गबन घोटाला किया और जिम्मेदार चैन की नींद सो रहे थे, फिर भुआ बिछिया जनपद पंचायत में फिर से लाखों करोड़ों का मेट ग़बन घोटाला हुआ वहा भी जाँच में एक कंप्यूटर ऑपरेटर पर जांच की गाज गिरी ओर जाँच स्थानीय स्तर से लेकर जिला स्तर तक हुई दोषी जिम्मेदार जनपद के अधिकारी कर्मचारी पाए गए पर जाँच में कार्यवाही हुई आज तक फाइल में दफन होकर रह गया है और फिर से पहले जैसे कार्यक्रम जारी हो चुका हैं,


पर सोचने की बड़ी बात यह कि एक दैनिक वेतन भोगी कम्प्यूटर ऑपरेटर को इतना अधिकार कैसे मिल जाता है और जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी क्या कुम्भकर्ण बनकर सो जाते है जो एक कम्प्यूटर ऑपरेटर सरकारी राशि में खुलेआम घोटाला कर रहा होता है और न जनपद सी ओ को पता रहता है और न ही खण्ड शिक्षा अधिकारी को औऱ एक कम्प्यूटर ऑपरेटर को इतना अधिकार दे दिए जाते है को जो चाहो वो करो तो फ़िर ये हर महीने लाखो की तनख्वाह पाने वाले क्या कर रहे, ग़बन घोटाला, भ्रष्टाचार जो कि जनपद पंचायतों में हुए भ्रष्टाचार, घोटाला के बाद शिक्षा विभाग तक पहुँच रहा है और जिम्मदारों ने अपना पलड़ा झड़ते हुए पूरी जिम्मेदारी केवल कम्प्यूटर ऑपरेटरों पर थोप रहे हैं, और खुद को साफ पाक दूध का धुला हुआ बता रहें हैं।

वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भ्रष्टाचार, कहे या ग़बन घोटाला, पहले ग्राम पंचायतों में लाखों कासुनने को मिलता था फिर जनपदों में लाखों से करोड़ो तक पहुँच गया अब शिक्षा विभाग के कार्यालय तक दस्तक दे चुका हैं, जहाँ पर लाखों का मास्टरमाइंड एक कम्प्यूटर ऑपरेट को बतलाया जा रहा हैं, जो कि मृत कर्मचारियों को भी सालों से दे रहा था वेतन, जो कि 52 लाख से अधिक के ग़बन का मामला जांच में आया और ये करोड़ तक जा सकता हैं पर इस कम्प्यूटर ऑपरेटर के ग़बन के पीछे जिम्मेदार कौन है क्या जांच में होगी और उसे भी सजा मिलेगी की पहले जैसे केवल कंप्यूटर ऑपरेटर को आरोपी बनाया कर सालाखों के पीछे धकेल दिया जायेगा और बरिस्ट अधिकारियों की बल्ले बल्ले होती रहेंगी। ये जनचर्चा का विषय बना हुआ है।
वही जिले के विकासखंड शिक्षा अधिकारी, बी ई ओ कार्यालय निवास में पिछले 10 दिनों से जॉइंट डायरेक्टर (ट्रेजरी) की टीम कार्यालय में किए गए भुगतान के बिलों को खंगाल रही है। इस जांच में यहां पिछले कई वर्षों से मृत कर्मचारियों के नाम से सैलरी, छात्रवृत्ति की राशि, कर्मचारियों को मिलने वाले हाउस रेंट और बोर्ड को भेजी जाने वाली राशि के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है।

लंबे समय से हो रहा था फर्जीवाड़ा

अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार इस घोटाले में प्रमुख भूमिका बीईओ कार्यालय में पदस्थ अस्थाई कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश बर्मन की बताई जा रही है सतीश बर्मन लंबे समय से कर रहा था फर्जीवाड़ा औऱ फर्जीवाड़ा करते हुए मृत कर्मचारियों के वेतन को अपने रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कर रहा था इसके अलावा भी कई अन्य मदो के भुगतान में गड़बड़ी की गई है इसमें पूर्व खण्ड शिक्षा अधिकारी की भूमिका भी संदेह के घेरे में नज़र आ रही हैं।

करीब 10 दिनों से चल रही जांच

वही मामला तब खुला जब भोपाल में बैठी ट्रेजरी एंड एकाउंट की एक तकनीकी टीम को निवास बीईओ कार्यालय के कुछ लेन देन संदिग्ध लगे और उन्होंने करीब 15 दिनों पूर्व जबलपुर के कोष व लेखा विभाग को मामले की जांच के लिए पत्र लिखा। जिसके बाद करीब 10 दिन पूर्व मामले की जांच प्रारम्भ हुई। इस जांच में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। अभी तक करीब 52.45 लाख रुपए का गबन सामने आ चुका है। जांच पूरी होने तक यह रकम और भी बढ़ने की संभावना है।

पत्नी के खाते में ट्रांसफर किए लाखों रुपए

वही जांच अधिकारी रोहित सिंह कौशल संयुक्त संचालक कोष व लेखा जबलपुर ने बताया कि सतीश बर्मन अगस्त 2020 में मृत एक सहायक शिक्षक के नाम पर सैलरी अपने और अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर करता रहा। इस तरह उसने अपनी पत्नी के खाते में करीब 37 लाख रुपए ट्रांसफर किए। एक अन्य रिश्तेदार के खाते में भी बड़ी रकम ट्रांसफर की है। साथ ही छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान शिक्षकों के खाते में किया गया, बोर्ड को भेजा जाने वाला संबद्धता शुल्क भी किसी अन्य खाते में ट्रांसफर किया और हाउस रेंट भी बढ़ा कर भुगतान किया गया है।

और भी बड़ा हो सकता है घोटाला

वही जांच अधिकारी ने बताया कि अभी तक हम एक करोड़ तक पहुंच गए हैं। आगे जांच में यह राशि और भी बढ़ सकती है। ये गड़बड़िया दो बीईओ आनंद जैन और रामनारायण पटेल के कार्यकाल में हुई हैं। इनके लॉगिन पासवर्ड से ये सभी कुछ हुआ है। उन्होंने बताया कि अभी तक संदिग्ध लेन देन वाले कई खाते सीज किए गए हैं। संभावना है कि जांच पूरी होने तक यह घोटाला और भी बड़ा हो सकता है।

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