बेटे की हत्यारिन मां सुचना सेठ ने मांगे 2.5 लाख रुपये मासिक गुजरा भत्ता, दस्तावेजों से हुआ खुलासा

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गोवा के एक होटल में चार साल के बेटे की कथित तौर पर हत्या करने वाली सूचना सेठ (Suchana Seth) पति के साथ तलाक को लेकर कानून लड़ाई लड़ रही है. बेंगलुरु के एक स्टार्टअप में बतौर सीईओ काम करने वाली सूचना सेठ ने अपने पति पीआर वेंकट रमन के खिलाफ अगस्त महीने में घरेलू हिंसा का आरोप भी लगाया था. सेठ ने पति पर बच्चे और खुद का शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया था और गुजारा भत्ते के तौर पर हर महीने 2.5 लाख रुपये की मांग की थी. उसने दावा किया था कि उसके पति की वार्षिक आय 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है.

भारत में बिना तलाक दिए दूसरी शादी करना क्राइम माना जाता है. इसके लिए 7 साल की जेल भी हो सकती है. लेकिन क्या हो जब व्यक्ति तलाक दे दे और दूसरी शादी भी ना करे! ऐसे भी मामले आते हैं, जब व्यक्ति तलाक दे देता है, लेकिन उसके पास कमाई का साधन नहीं होता है. ऐसे में उसे कोर्ट में भत्ता के लिए आवेदन करना पड़ जाता है. आमतौर पर तलाक के बाद पत्नी को पति द्वारा गुजारा भत्ता दिया जाता है. सेक्शन 25 के तहत पत्नी के भरण-पोषण के लिए पति द्वारा दिया जाने वाला गुजारा भत्ता एलिमनी परमानेंट भत्ता कहलाता है. सोचिए अगर पति की कमाई कम हो तो उस केस में क्या होगा? आज की स्टोरी में हम जानेंगे कि कानून क्या कहता है. कौन किस कंडीशन में भत्ता नहीं मांग सकता है.

पत्नी कब मांग सकती है भत्ता

एक पत्नी भत्ते की मांग तब कर सकती है जब उसके पति ने उसे तलाक दे दिया हो या उससे तलाक ले लिया हो, बशर्ते कि पति ने तलाक के बाद दोबारा शादी नहीं की हो और वह खुद को आर्थिक रूप से बनाए रखने में असमर्थ हो.

पत्नी किस सिचुएशन में पति से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती?

यदि कोई पत्नी अपनी कमाई से अपना भरण-पोषण करने में सक्षम है तो वह भरण-पोषण का अनुरोध नहीं कर सकती. इसके अतिरिक्त, यदि वह स्वेच्छा से बिना किसी वैध कारण के अपने पति से अलग रहती है, यदि वे आपसी सहमति से अलग रह रहे हैं, या यदि वह शादी के बाद किसी अन्य रिश्ते में शामिल है, तो वह भरण-पोषण के लिए पात्र नहीं हो सकती है.

पति कब मांग सकता है भत्ता?

यदि पति बेरोजगार है, जबकि उसकी पत्नी के पास कमाई का साधन है तो वह भत्ते की मांग कर सकता है. इसी प्रकार, यदि पति शारीरिक या मानसिक रूप से कमाने में असमर्थ है, और उसकी पत्नी कार्यरत है, तो वह वित्तीय सहायता का अनुरोध कर सकता है. इसके अलावा, यदि पति के पास अपनी पत्नी के साथ अदालती मामले के दौरान कानूनी फीस को कवर करने के लिए धन की कमी है या यदि वह बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है, तो वह वित्तीय सहायता मांग सकता है.

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