सिवनी कलेक्टर के तहसील न्यायालयों के निरीक्षण को लेकर मची अफरातफरी …

सालों से हुए आदेशों पर नहीं हुआ अभिलेख दुरुस्त... कई सालों से जमे बाबूओ की बाबू गिरी के कारनामो हो रहे उजागर..

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रेवांचल टाईम्स – सिवनी जिले के कलेक्टर क्षितिज सिग्नघल के द्वारा तहसील न्यायालयों के प्रकरणों में लापरवाही को लेकर मिल रही शिकायतों के बाद सिवनी कलेक्टर के द्वारा जिले की तहसीलों में लंबित प्रकरणो व आदेशित प्रकरणों में अभिलेख अध्ययन नहीं किए जाने को लेकर तहसील न्यायालयों का निरीक्षण करना शुरू ही किया था की बाकी तहसीलों में निरीक्षण को लेकर अफरातफरी मची हुई हैl
तहसील न्यायालयों के बबुयों का बाबू राज अभी भी कायम है आदेश होने के बाद भी आदेशों की फाइलों को दबा कर रखने के पीछे की वजह किसी से छिपी नही है। कई मामलों में तो यदि बाबू को उनकी रकम नहीं मिली तो प्रकरणों से पेशी के उपस्थित पेज तक गायब कर दिए जाते हैं और पेशी में अनुपस्थिति दर्ज कर प्रकरणों को खारिज तक करा दिए जाते हैं बाबुओं की फितरत में सब कुछ जायज है और यही कारण है कि सरकार के लाखों दावो और योजनाओं के बावजूद ग्रामीण लोग आज भी तहसीलों के चक्कर लगा लगाकर परेशान हो रहे हैं। जहां एक तरफ प्रशासन अभियान चलाकर सीमांकन के प्रकरणो का समय रहते निराकरण करने में लगे हुए हैं तो वही अभियान चलाकर नक्शा बट्ंकन जैसे कामों को प्राथमिकता देकर पूरा करा रहे हैं परन्तु कई सालों से जमे बाबुओं की बाबू गिरी के चलते तहसील न्यायालय के आदेशित प्रकरणों में अमल ही नहीं हो पारहा है कारण यह है की बाबुओं के द्वारा आदेशित फाइलों को दबाकर रख दिया गया है और आदेशित पत्रों को संबंधित कर्मचारी तक पहुंचा ही नहीं गया जिस कारण आदेशित प्रकरण का निराकरण नहीं हो सका है और अब जब कलेक्टर के एक तहसील के निरीक्षण के बाद से बाकी तहसीलों में अफरा तफरी मची हुई है और सालों से हुए आदेश जो अमल नहीं किए गए उन आदेशों की फाइलों को पटवारीयो को थमाया जा रहा है के उन फाइलों के आदेशों को अपडेट करें एक-एक गांव की सैकड़ो फाइलें सामने आ रही है अब पटवारी अभियान के चलते सीमांकनों का निराकरण करें या फिर नक्शा बटंकनो का या फिर जिले के कलेक्टर के निरीक्षक को लेकर बाबुओं के द्वारा दबा दी गई आदेशित सैकड़ो फाइलों का अमल करेंl
काम चाहे अभियान का हो या फिर निरीक्षण को लेकर मची अफरातफरी का काम यदि जल्दबाजी में होगा तो काम गलत जरूर होगा अधिकारी नंबर बढ़ाने के चक्कर में अभियान चल रहे हैं तो कहीं अपरा तफरी मची हुई है लेकिन इस पूरे मामले पर परेशान किस को होना है पक्ष कार को होना हैl
क्योंकि जल्दबाजी से किए हुए काम यदि गलत हुए तो उसका खामियाजा संबंधित किसान या पक्षकार को भोगना होगा
तहसील न्यायालयों में यदि आदेश हो चुके हैं और अमल नहीं किए गए हैं तो इसमें जिम्मेदारी संबंधित न्यायालय के
बाबुओं के साथ-साथ आदेशित अधिकारी की है कि जिन प्रकरणों में आदेश हो चुके हैं। उनका अमल हुआ कि नही परंतु लापरवाही की वजह से ऐसी स्थिति निर्मित होती रहती है और पूरा का पूरा ठीकरा या फिर जिम्मेदारी
राजस्व विभाग के एक कर्मचारी पटवारी पर सौंप दी गई है की पटवारी की लापरवाही के कारण आदेश पर अमल नहीं किया गया आदेश तो हो चुका था परंतु बात सामने यह स्पष्ट नहीं की जाती की आदेशित पत्र की नकल संबंधित को दी ही नहीं गई तो फिर अमल कैसे होगा और अब जब कलेक्टर के तहसील न्यायालयों में निरीक्षण की बात सामने आई है तो अब वही आदेशित फाइलें इकट्ठे गट्ठा बना बना कर पटवारीयो को सौंपी जा रही हैl
जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए साथ ही कई सालों से जमे बाबू को एक तहसील से दूसरी तहसील में पदस्थ कर बाबुओं की बाबू गिरी की ऐठ से कुछ समय के लिए ही सही पर आम लोगों को राहत दिलानी चाहीए।

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