मध्य प्रदेश में ड्रग्स की दो खेप के पकड़े जाने के बाद नशे के कारोबार ने सियासी रंग ले लिया है। इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं।
राजधानी भोपाल में पहले 1814 करोड़ की एमडी ड्रग्स पकड़ी गई, यह गुजरात की एटीएस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने मिलकर पकड़ी थी। उसके बाद झाबुआ में 168 करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई।
इन दो खुलासों के बाद से सरकार, पुलिस और प्रशासन के कान खड़े हुए हैं। इसी बीच राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का एक बयान आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि राज्य के नशे के कारोबार के तार राजस्थान के प्रतापगढ़ से जुड़े हैं। इस कारोबार में शामिल लोगों के नाम भी उन्हें पता है। चोर ही नहीं इस कारोबार के चोरों की मां को भी पकड़ा जाए। नगरीय प्रशासन मंत्री विजयवर्गीय ने इंदौर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में यहां तक कहा कि, आप मुख्यमंत्री हैं, इंदौर के प्रभारी मंत्री भी हैं, नशे के कारोबार पर नकेल कसने के लिए आपको भोपाल से भी निर्देश देना होंगे। मंत्री विजयवर्गीय के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी साफ कहा है कि नशे के कारोबार में शामिल लोग बख्शे नहीं जाएंगे। इस कारोबार से जुड़े लोगों पर कार्रवाई के लिए पुलिस और प्रशासन को पूरी छूट दी गई है। राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री और मुख्यमंत्री के बयान के बाद कांग्रेस भी हमलावर को गई है। राज्य का गृह मंत्रालय भी मुख्यमंत्री के पास है और कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कर विजयवर्गीय को गृहमंत्री बनने का सुझाव दे डाला है।
उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री आपकी कार्रवाई से हम संतुष्ट नहीं हैं। खुले मंच से इंदौर में यह बात मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहते हुए प्रदेश में बढ़ते नशे के कारोबार पर नसीहत दी है। कांग्रेस ने आगे कहा, मुख्यमंत्री बेहतर होगा कि गृहमंत्री की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय को दे दी जाए,क्योंकि आपसे अधिक जानकारी तो उनके पास है, या तमाम जानकारियां होने का दावा करने वाले कैलाश विजयवर्गीय का ही एजेंसियों से संपर्क करवा दीजिए, शायद वे इंदौर में गुंडागर्दी की तरह प्रदेश से नशे का कारोबार समाप्त कर दें।