नागपुर से ऑस्कर तक: “सायको समझो तो” की प्रेरणादायक यात्रा

73

नागपुर की ऑरेंज सिटी प्रोडक्शन द्वारा निर्मित और निखिल शिरभाते द्वारा निर्देशित फिल्म “सायको समझो तो” ने अपनी दमदार कहानी और अभूतपूर्व प्रस्तुतिकरण से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर धूम मचाई है। यह फिल्म न केवल एक कलाकार के संघर्ष की कहानी है, बल्कि उसके जुनून और मानसिकता की गहराई में उतरने का एक अनूठा प्रयास भी है।

टीम की मेहनत और जादू

निर्माता सतीश मोहोड़,क्रिएटिव प्रोड्यूसर श्रद्धा शिरभाते,लेखक और निर्देशक निखिल शिरभाते,मुख्य अभिनेता गौरीशंकर,सह-कलाकार स्वप्निल भोंगाडे, यश निकम, किशोर येलने,सिनेमैटोग्राफी प्रतीक ठाकरे ने फिल्म को बनाने में अपना 100% दिया, और यह मेहनत स्क्रीन पर स्पष्ट झलकती है।

गौरीशंकर का अभिनय: एक यादगार प्रदर्शन

“सायको समझो तो” की सबसे बड़ी ताकत मुख्य अभिनेता गौरीशंकर का प्रभावशाली अभिनय है। उन्होंने फिल्म में एक ऐसे कलाकार की भूमिका निभाई है, जो समाज के अस्वीकार को सहते हुए मानसिक उथल-पुथल से गुजरता है। गौरीशंकर ने इस जटिल किरदार में अपनी अद्भुत भाव-भंगिमाओं, संवाद अदायगी, और गहरी समझ से जान डाल दी है।उनके अभिनय ने न केवल किरदार को जीवंत किया, बल्कि दर्शकों को कलाकार के दर्द और जुनून का हिस्सा बना दिया।

एक आलोचक ने लिखा, “गौरीशंकर का अभिनय फिल्म की आत्मा है। उन्होंने अपने किरदार को इस तरह निभाया कि दर्शक हर क्षण उनकी तकलीफ और संघर्ष को महसूस करते हैं।”

दर्शकों ने उनकी अदाकारी की तुलना बॉलीवुड और हॉलीवुड के कई दिग्गज अभिनेताओं से की।गौरीशंकर ने फिल्म के सबसे चुनौतीपूर्ण दृश्यों को भी इतनी सहजता से निभाया कि उनकी काबिलियत की सराहना हर मंच पर हो रही है। उनकी स्क्रीन प्रेजेंस और किरदार की गहराई में उतरने की क्षमता ने “सायको समझो तो” को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है।

फिल्म की कहानी:

“सायको समझो तो” एक ऐसे कलाकार की कहानी है, जो अपनी कला को दुनिया के सामने लाना चाहता है। लेकिन जब उसे समाज और दर्शकों से अस्वीकृति मिलती है, तो वह मानसिक अस्थिरता का शिकार हो जाता है। उसकी कला ही उसकी ताकत और उसकी कमजोरी बन जाती है।

सफलताओं की लंबी फेहरिस्त:

“सायको समझो तो” ने दुनियाभर के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी खास पहचान बनाई है।
1. लिफ्ट-ऑफ ग्लोबल नेटवर्क (2023):
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह फिल्म पहली बार इस मंच पर चयनित हुई और अपनी एक अलग पहचान बनाई।
2. सिनेस्ट इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (2023/24):
इस मंच पर फिल्म की रचनात्मकता और कहानी का जश्न मनाया गया।
3. कलाकारी फिल्म फेस्टिवल (2023):
भारतीय सिनेमा के लिए कला और नवाचार का प्रतीक बनी यह फिल्म।
4. वर्ल्ड इंडी अवार्ड्स (2024 – फाइनलिस्ट):
स्वतंत्र सिनेमा की दुनिया में “सायको समझो तो” ने अपना नाम दर्ज किया।
5. नई दिल्ली फिल्म फेस्टिवल (2024):
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (गौरीशंकर), और सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीतकर टीम ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया।
6. बेस्ट ऑफ इंडिया फिल्म फेस्टिवल (ऑस्कर क्वालिफाइंग राउंड):
सबसे गर्व का क्षण तब आया, जब यह फिल्म ऑस्कर की दौड़ में शामिल हुई। यह न केवल नागपुर, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।
7. फोटोजेनी फेस्टिवल ऑफ फिल्म्स(AIFF)2024
अभी हुए संभाजीनगर फिल्म फेस्टिवल में गौरीशंकर को बेस्ट ऍक्टर अवॉर्ड भी मिल चुका है

दर्शकों और आलोचकों की प्रशंसा:

इस फिल्म को दर्शकों से शानदार प्रतिक्रिया मिली है। आलोचकों ने इसके संवेदनशील विषय, शानदार निर्देशन, और विशेष रूप से गौरीशंकर के दमदार अभिनय की खूब सराहना की।एक आलोचक ने लिखा, “गौरीशंकर का अभिनय इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने एक कलाकार की भावनाओं को इतनी बारीकी से दिखाया है कि दर्शक उनके दर्द और संघर्ष को खुद महसूस करते हैं। दर्शकों का कहना है, “गौरीशंकर की यह परफॉर्मेंस उनके करियर की सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक है।”

आने वाले सफर की उम्मीदें:

“सायको समझो तो” के ऑस्कर क्वालिफाइंग राउंड में शामिल होने के साथ, पूरी टीम और देश के सिनेप्रेमियों को इस फिल्म से बहुत उम्मीदें हैं।

समर्पण और प्रेरणा का प्रतीक

“सायको समझो तो” उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस फिल्म ने दिखाया कि जब जुनून और कड़ी मेहनत मिलते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है।”सायको समझो तो”—एक फिल्म, जो कला, संघर्ष, और अभिनय के शिखर का प्रतीक है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.