न्याय के लिऐ भटक रहा है, पीड़ित परिवार शिकायत करने बाद भी नही हो रही है। कार्यवाही

पूर्व पटवारी प्रदीप उसराठे एवं देवेंद्र नेताम राजस्व निरीक्षक ने मिलकर आदिवासी की भूमि को सामान्य की बताकर सरकारी अभिलेखों में कर दिया फेर बदल

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिले में सब नियम कानून रखे कि रखें रह जाते है, मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन मंडला को शिकायत होने बाद भी दर्ज नहीं हो रहा है। अपराध

वर्तमान समय में नैनपुर में जमकर भूमि घोटाला जारी है भूमाफियाओं ने शहर में पड़ी तमाम सरकारी भूमि किसी न किसी तरीके से स्वयं और अपने परिवार के नाम दर्ज करवा ली है। और जिसमे नैनपुर के पूर्व पटवारी प्रदीप उसराठे और राजस्व निरीक्षक देवेंद्र नेताम के साथ मिलकर राजस्व विभाग में दस्तावेजों में ऐसा घोटाला किया है। कि नैनपुर में खाली सरकारी भूमि भू माफिया के नाम पर दर्ज हो चुकी है। और पटवारी ने राजस्व अभिलेखों में बकायदा नाम दर्ज है। नैनपुर में ऐसे अनेक मामले हैं। मामले निवारी से लेकर नैनपुर और वार्ड नंबर 15 में है। और जिला प्रशासन को अवैध कालोनियों की शिकायत होने पर भी जिला प्रशासन के अधिकारी सिर्फ जांच के नाम पर खाना पूर्ति कर रहे है। और जिला प्रशासन के कुछ अधिकारी तो पटवारी को पूरी जानकारी देकर मामले से कैसे निकलना है। रास्ता भी बता रहे है। जिससे साफ होता है। राजस्व विभाग में किस स्तर का भू माफिया ने घोटाला किया है। और मामले को दबाने के लिऐ किसी भी हद तक जाने को तैयार है। वही नैनपुर का पूर्व पटवारी पूरे नगर में घूम घूम कर कर चेतावनी दे रहा है। की मामला से निकलते ही सब को देख लूंगा जिससे पीड़ित परिवार डरा हुआ है। की किसी भी उससे साथ कोई घटना ना घट जाए । वही पटवारी तहसील कार्यालय के कर्मचारियों को भी देख लेने की बात कह रहा है।

आदिवासी और राजस्व विभाग की शासकीय भूमि बेचने के बाद भी पटवारी और राजस्व निरीक्षक को राजस्व विभाग के आला अधिकारियों का खुला संरक्षण

नैनपुर नगर में अनेक बड़े-बड़े मामलों का खुलासा हो रहा है। वार्ड नंबर 15 में एक आदिवासी परिवार की भूमि को दस्तावेजों में हेर फेर कर बेच दिया गया। जो राजस्व अभिलेख में दर्ज होने के बाद भी पटवारी प्रदीप उसराठे और राजस्व निरीक्षक देवेंद्र नेताम ने दस्तावेज में हेर फेर करते हुऐ आदिवासी परिवार की भूमि को बेच दिया गया है। जिसकी शिकायत जिला कलेक्टर मंडला और अन्य विभाग को की गई है। मगर पटवारी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही होना एक सवाल खड़ा हो रहा है। वही बड़े स्तर पर होने पर जिला प्रशासन ने जांच में पाया कि उक्त भूमि आदिवासी परिवार की है मगर उसे दस्तावेज में हीरा फिर कर बेच दिया गया है। और रकबे से अधिक भूमि बेच दी गई है । जिसकी जांच कार्यवाही अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने जांच में पाया है। पटवारी और राजस्व निरीक्षक ने दस्तावेज में हेरफेर किया है। और उनके विरुद्ध स्थानीय थाना में अपराध दर्ज करने के लिऐ लिखा गया है। मगर राजस्व विभाग आज तक पटवारी और राजस्व निरीक्षक के विरुद्ध कोई अपराध नहीं करवाना एक सवालों के घेरे में है।

राजस्व विभाग की शासकीय भूमि बेचने भू माफिया को राजस्व विभाग के आला अधिकारियों का खुला संरक्षण

शासकीय भूमि को करोड़ों में बेच कर कुछ भूमाफिया और राजस्व के कर्मचारियों ने मिलकर बेच दिया है। जिस बात का खुलसा बात जांच में भी हो चुका है। उसके बाद भी नैनपुर राजस्व विभाग के कर्मचारी और जिला प्रशासन मंडला के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करना बड़े सवाल खड़े कर रही है। जिससे साफ स्पष्ट होता है। कि भू माफिया की जड़ पर इतने अंदर तक जम चुकी हैं। प्रशासन भू माफिया पर कार्रवाई करने के लिए जिला प्रशासन सोच रहा है मगर अब देखना यह है कि क्या भू माफिया जिला प्रशासन जड़ से उखाड़ने के लिए कोई कार्रवाई करता है। या नही आवेदक को न्यायालय की शरण में जाना होगा

तत्कालीन पटवारी प्रदीप उसराठे और देवेंद्र नेतामआरआई ने तो सरकारी अभिलेखों में की फेराफेरी और नाम पर कर दी दर्ज
वहीं जानकारी के अनुसार राजस्व विभाग के पूर्व पदस्थ विवादित पटवारी प्रदीप उसराठे और देवेंद्र नेतामआरआई ने तो सरकारी अभिलेखों को छेड़छाड़ करके पूरे नैनपुर नगर की सरकारी जमीनों पर भू माफियाओं को कब्जा दिलवा दिया इसी तारतम में तहसील परिसर से लगी हुई खसरा नंबर 162 /1 एवं 162 / 2 भूमि जो की मिसल अभिलेख रूढी पत्र में हिंदुओं के शमशान भूमि होना दर्ज है जिसकी मद परिवर्तित करके काबिल काश्त कर दी गई और तो और इस भूमि को जिला अभियोजन अधिकारी के नाम से न्यायालय कलेक्टर महोदय के प्रकरण क्रमांक ०7(अ-19/j) 2015-16एवं आदेश दिनांक 27/02/2016 से परिवर्तित करके भूमि आवंटन भी कर दी गई जहां पर पूर्व में नैनपुर के सभी हिंदू लोगों ने अपने पूर्वजों की अंत्येष्टि की है जिसका नैनपुर नगर प्रत्यक्ष प्रमाण देता है हमारे रूढियों से चले आए हिंदू शमशान भूमि को भू माफियाओं को इसी तरह के पटवारी एवं आर आई से मिलीभगत करके लाभ लेने के उद्देश्य से मद परिवर्तन करके शासन को धोखा दे दिया है आखिर प्रशासन सरकारी भूमियों के साथ छेड़छाड़ करने वाले वाले दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर कब तक नकेल कसेगा या फिर प्रशासन भी मूकदर्शक बनकर के इन भू माफियाओं से सांठगांठ करने लगा है मगर जिला प्रशासन और तहसीलदार की कार्य प्राणली देखकर लगता है। भू माफिया के द्वारा नगर में खुले रूप में कहा जाता है। शासन और जिला प्रशासन मेरा कुछ नही कर सकता है। और कार्यवाही नही होने से बड़े सवाल खड़े हो रहे है।

इनका कहना है…
मेरे द्वारा प्रदीप उसरठे पटवारी और भूमाफिया के खिलाफ जिला प्रशासन को शिकायत की गई है। मेरी शिकायत करते ही पटवारी को शिकायत जानकारी लग जाती है। वह नगर मे सबसे चर्चा करता है। की मामले से निकलते ही देख लूंगा।
नीरज नामदेव
पीड़ित

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