पौष पूर्णिमा पर इन 7 दुर्लभ संयोगों में रख लें व्रत, प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी की बरसाएंगी अपार कृपा
पौष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में इसे बहुत ही खास माना गया है. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है और जातकों पर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है. पौष पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इसे मोक्षदायिनी पूर्णिमा कहा जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने से कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं. वहीं, शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन से माघ मेले में गंगा स्नान किया जाता है. वहीं, प्रयागराज कल्पवास की शुरुआत पौष पूर्णिमा से होती है. बता दें कि इस बार पौष पूर्णिमा पर 7 शुभ संयोग बन रहे हैं. इस दिन पूजा-पाठ के अलावा शुभ चीजों की खरीददारी करने का भी संयोग बन रहा है. इस दिन व्रत रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं. जानें इस बार कब है पौष पूर्णिमा.
पौष पूर्णिमा 2024 पर बन रहे हैं ये शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा पर इस बार 7 दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. इस दिन गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, प्रीति योग, रवि योग, गुरुवार और त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है. गुरु पुष्य योग को ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही शुभ माना गया है. इस योग में मां लक्ष्मी की पूजा और सोना-चांदी, भूमि, वाहन, संपत्ति आदि खरीदने से समृद्धि होती है और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है.
– गुरु पुष्य योग- 25 जनवरी 2024, सुबह 08 बजकर 16 मिनट से 26 जनवरी 2024, सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर होगा.
– सर्वार्थ सिद्धि योग- पौष पूर्णिमा के पूरे दिन ये योग रहेगा.
– अमृत सिद्धि योग- 25 जनवरी 2024, सुबह 08 बजकर 16 मिनट से 26 जनवरी 2024, सुबह 07 बजकर 12 मिनट तक रहेगा.
– प्रीति योग- 25 जनवरी 2024, सुबह 07 बजकर 32 मिनट से लेकर 26 जनवरी 2024, सुबह 07 बजकर 42 मिनट तक.
– रवि योग – 25 जनवरी सुबह 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 08 बजकर 1 मिनट तक
– त्रिग्रही योग – बता दें कि पौष पूर्णिमा पर बुध, मंगल और शुक्र तीनों ग्रहों के धनु में विराजमान होने से त्रिग्रही योग का निर्माण हो रहा है. इस योग से व्यक्ति को पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है और भाग्योदय होता है.
– गुरुवार- पौष पूर्णिमा पर भगवान सत्यानारायण की पूजा को फलदायी माना गया है. ऐसे में इस दिन गुरुवार होने से व्रत का संयोग व्रती को दोगुना लाभ प्रदान करेगा. गुरुवार का दिन श्रीहरि का दिन कहलाता है.