महिला सशक्तिकरण अधिकारी अतिराजसिंह सेंगर की जनसुनवाई में कलेक्टर से की शिकायत

सेंगर ने श्रवण बाधित फर्जी नि:शक्तता प्रमाण पत्र से हांसिल की 2013 में राज्य सेवा परीक्षा

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रेवांचल टाईम्स – जिले के प्रभारी सीडीपीओ सेंगर फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र से बने लोक सेवक हुई शिकायत, भोपाल मेडीकल बोर्ड से की जांच कराने की मांग 60 प्रतिशत विकलांगता के आधार पर नौकरी पाकर 6 साल से आरोन में पदस्थ हैं

गुना, जिले के विकासखंड आरोन में 6 साल से एक ही स्थान पर पदस्थ महिला सशक्तिकरण अधिकारी अतिराजसिंह सेंगर प्रभारी सीडीपीओ के फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र का मामला सामने आया है। जिन्होंने 60 प्रतिशत श्रवण बाधित (बाक एवं श्रवण अक्षमता) के आधार पर 2013 में राज्य सेवा परीक्षा हांसिल की। जिसकी शिकायत अब कलेक्टर के समक्ष जनसुनवाई में की जा चुकी है। जिसमें प्रार्थी ने नि:शक्तता प्रमाण पत्र की जांच भोपाल मेडीकल बोर्ड से कराने की मांग की है। उक्त शिकायत में उल्लेख किया है कि 2017 में रिजल्ट आने के बाद महिला सशक्तिकरण अधिकारी आरोन की पोस्ट पर पदस्थ होकर प्रभारी सीडीपीओ के पद पर आंगनबाडिय़ों में फर्जीबाड़ा करने में लगे हुए हैं।


दरअसल पूरा मामला ये है कि राज्य शासन द्वारा आयोजित मप्र लोक सेवा आयोग के तहत राज्य सेवा परीक्षा 2013 में सम्पन्न हुई। संयुक्त प्रतिस्पर्धा परीक्षा परिणाम के आधार पर आयोग ने विकासखंड महिला सशक्तिकरण अधिकारी के पद पर नियुक्ति दिनांक 27 जनवरी 2017 में आदेश प्रदेश शासन महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्रालय बल्लभ भवन अपर सचिव प्रदेश शासन द्वारा जारी किया गया। जिसमें खास बात ये रही कि अतिराजसिंह सेंगर प्रदेश शासन की नियुक्ति आदेश सूची में टोटल 149 लोगों में से सबसे नीचे क्रमांक 149 पर इनका नाम अंकित था। तब से लेकर आज तक आरोन में पदस्थ रहते हुए शासन की आंखों में धूल झौंकते आ रहे हैं, क्योंकि कानों का 60 प्रतिशत श्रवण बाधित फर्जी विकलांगता का प्रमाण पत्र बनवाकर फर्जी तरीके से नौकरी करते आ रहे हैं। उक्त निशक्तता प्रमाण पत्र जिला चिकित्सालय ग्वालियर मप्र दिनांक 24.06.13 में जारी शासन के जबावदार जिम्मेदार डॉक्टरों द्वारा सांठगांठ कर बनाया जाना प्रतीत होता है। जांच का विषय ये है कि उन्होंने आज तक कानों की मशीन नही लगाई। जबकि उनके प्रमाण पत्र में 60 प्रतिशत विकलांगता दर्शाते हुए कानों का उल्लेख नही किया कि एक कान से बहरे हैं या दो कान से श्रवण बाधित। यह खुलासा एक आरटीआई में होने के बाद कलेक्टर अमनवीरसिंह से शिकायत की है।
सेंगर की योग्यता थर्ड नम्बर की, स्वाध्यायी की पूरी पढ़ाई
विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर फर्जी तरीके से नौकरी हांसिल करने वाले सेंगर की शिक्षा थर्ड केटेगरी की होने से जिले में चर्चा का विषय बने हुए हैं, क्योंकि ग्वालियर में हाई स्कूल से स्नातक बीए तक सेंगर ने प्राईवेट यानि स्वाध्यायी पढ़ाई की है। शिकायतकर्ता का कहना है कि इनकी राईटिंग भी थर्ड नम्बर की है इसके चलते समस्त अंकसूचियों की जांच भी होना चाहिए। महिला सशक्तिकरण की नियुक्ति उपरांत इनको महिला बाल विकास परियोजना का प्रभार मिला था। इसके बाद से ही अतिराजसिंह सेंगर किसी भी प्रकार कानों से विकलांग नही हैं और ना ही कानों में कोई मशीन लगाई गई। कुलमिलाकर प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की आंखों में धूल झौंककर प्रभारी सीडीपीओ सेंगर धड़ल्ले से नौकरी कर रहे हैं।
शपथ पत्र में छुपाई जानकारी
नौकरी ज्वाइन करने से पहले अतिराजसिंह सेंगर आयु 33 वर्ष पुत्र रज्जन सेंगर निवासी कांचमिल बड़ागेट, बिरला नगर ग्वालियर (म.प्र.) ने जानकारी देते हुए बताया कि मैं शपथ पूर्वक सत्य कथन करता हूँ। मेरा चयन महिला एवं बाल विकास विभाग मप्र शासन के अंतर्गत विकासखंड महिला सशक्तिकरण अधिकारी के पद पर हुआ है। यह कि मेरा चरित्र उत्तम है आज तक कभी भी किसी भी आपराधिक मामले में गिरफ्तार नही किया गया। मुझे किसी भी विश्व विद्यालय या किसी भी अन्य शैक्षणिक प्राधिकरण/संस्था द्वारा किसी भी परीक्षा में बैठने से वर्जित नही किया आया और ना ही निष्कासित किया गया। जबकि इन्होंने जानकारी छिपाते हुए फर्जी श्रवण बाधित निशक्तता प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी प्राप्त की है।

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