खरगोन में संत सियाराम बाबा का निधन, 10 दिनों से थे बीमार; शाम 4 बजे होगा अंतिम संस्कार
बाबा ने पेड़ के नीचे बैठकर की तपस्या
बाबा ने कई सालों तक गुरु के साथ पढ़ाई की और तीर्थ भ्रमण किया। वे 1962 में भट्याण आए थे। यहां उन्होंने एक पेड़ के नीचे मौन रहकर कठोर तपस्या की। वहीं आश्रम पर मौजूद अन्य सेवादारों ने बताया कि उनकी दिनचर्या भगवान राम व मां नर्मदा की भक्ति से शुरू होकर यही खत्म होती थी।
समीपस्थ ग्राम सामेड़ा के रामेश्वर सिसोदिया ने बताया कि बाबा की वर्तमान आयु लगभग 95 वर्ष है। बाबा के लिए गांव से पांच छह घरों से भोजन का टिफिन आता था, जिसे बाबा एक पात्र में मिलाकर लेते थे। खुद की जरूरत के अनुसार भोजन निकाल कर बचा भोजन पशु-पक्षियों में वितरित कर देते थे।