पालीथिन रोक पर नही हो रही कार्यवाही आखिर कैसे रुकेगी शहर की गंदगी.. डिस्पोजल का चलन भी जोरो पर नही लग रही लागम नगर पालिका पस्त…

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, जिले में इन दिनों शादी विवाह का सीजन चल रहा है और उनमें कार्यक्रमों में खुलके प्लास्टिक डिस्पोजल का उपयोग किया जा रहा हैं और नगर पालिका की उदासीनता के चलते है जिस कारण आज नाली ओर जगह जगह गंदगी के अंबार लगे हुए आसानी से देखे जा सकते हैं,
वही स्वच्छता को लेकर जिला प्रशासन के मुखिया डॉ कलेक्टर सलोनी सिडाना रुचि ले रहे है लेकिन इस का मुख्य कारण की और किसी का ध्यान नहीं है, नगर मुख्यालय का निकलने वाला कचरे में लगभग 30 या 40 प्रतिशत कचरा पॉलीथिन का होता है अगर शासन पॉलीथिन विक्रेता एवं दुकानों में इसका उपयोग करने वाले लोगें पर कच्छता अभियान में सफलता दिखने लगेगी। सब जानते है पॉलीथिन कभी नष्ट नहीं होती मवेशियों को इससे जान का खतरा रहता है पॉलीथिन से पर्यावरण को नुकसान होता है नालियां चोक होती है पेय पदार्थ पॉलीथिन में रखने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है आमतौर पर नगर पालिका की समझाइश के बाद इसका असर दिखता तो है।

नगर पालिका है उदासीन कभी कभार कार्यवाही कर भूल जाती हैं।

वही नगर पालिका परिषद के जिम्मेदार इस कभी कभार ही ध्यान देती है जिस कारण से आज नगर के अंदर खुलेआम दुकानों से अमानक डिस्पोजल प्लास्टिक बेची जा रही है इसी तरह लोग सार्वजनिक कार्यक्रमों में डिस्पोजल पॉलीथिन का उपयोग करते है लेकिन लोग नही जानते कि शहर में अमानक पॉलीथिन और डिस्पोजल का उपयोग जारी है, 40 माइक्रोन से कम की पॉलीथिन के उपयोग को प्रदूषण बोर्ड ने पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया है।

आम तौर पर शहर की सड़कों की गलियों में पॉलीथिन पड़ी रहती है इससे नालियां भी चोक हो रही है, हाथ ठेले हो या दुकान सभी जगह पॉलीथिन का उपयोग जारी है शहर में डिस्पोजल का उपयोग बढ़ता जा रहा है चाहे चाय नाश्ते की हॉटल हो या पेय पदार्थ पॉलीथिन में देने से व्यवसायी बाज नहीं आ रहे है।

वही जिले के हालात यह है कि बचे के कुरकुरे चिप्स, से लेकद दैनिक उपयोग के जीरे मिर्च, शक्कर जैसी सामग्री तक अब उपभोक्ता पॉलीथिन मे ले जाते है, और उपयोग के बाद उसे सड़कों पर फेंक रहे है जो चिंता का विषय है। इसे रोकने के लिए सभी विभागों को माह में एक दिन जागरूकता अभियान चलाना पडेगा साथ ही स्वयं सेवी संस्था सहित शासकीय, अशासकीय संस्थाओ को भी आगे आना होगा। खरीदी से पहले शहर एवं गांव के लोग कपड़े की थैली लेकर जाये। दूध या अन्य पेय पदार्थ पॉलीथिन में देने से व्यवसायी को रोके। नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग का अमला समय समय पर कार्यवार्ह करें तो काफी कुछ बदल सकता है औऱ सुधार भी हो सकता है पर नगर पालिका औऱ स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण पूरे नगर में अमानक प्लास्टिक के कारण कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं।

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