बरगी जलाशय में मत्स्याखेट बंद रहने से मछुआरा निराश मजदूर दिवस की बैठक में छलका दर्द

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, बरगी जलाशय में 54 प्राथमिक मछुआरा सहकारी समिति के लगभग 2500 मछुआरा सदस्य हैं।जिसमें मंडला जिले की 27 प्राथमिक मछुआरा सहकारी समितियों की सदस्य संख्या लगभग 1600 है।16 हजार 400 हेक्टेयर के बरगी जलाशय में 54 प्राथमिक मछुआरा सहकारी समितियों का फेडरेशन बरगी मत्सय उत्पादन एवं विपणन सहकारी संघ गठित है।1मई मजदूर दिवस पर नारायणगंज में बरगी जलाशय के कार्यरत मछुआरों की बैठक आयोजित किया गया था।जिसमें उपस्थित मछुआरा सदस्यों ने बताया कि राज्य मत्स्य महासंघ द्वारा बरगी जलाशय में मत्स्याखेट कार्य अगस्त 2023 से शुरू ही नहीं किया गया है। जबकि 15 जुन से 15 अगस्त मछली के प्रजनन काल के कारण मत्स्याखेट बंद रहता है और 16 अगस्त से मत्स्याखेट चालू हो जाना चाहिए था। जबकि मछुआरों के आजिविका का एकमात्र साधन मछली पकङना है। उपस्थित मछुआरों ने मत्स्याखेट शीघ्र शुरू करने, महंगाई को देखते हुए वर्तमान में मछली पकड़ने की मजदूरी 34 रूपये से बढाकर 60 रूपये प्रति किलो करने, जलाशय में मत्स्य बीज संचय और बंद ऋतु में उसकी सुरक्षा तथा कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रस्ताव पारित कर कलेक्टर मंडला के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजने का निर्णय लिया गया।
ज्ञात हो कि बरगी जलाशय की 54 प्राथमिक मछुआरा समितियों के फेडरेशन द्वारा 1994 से 2000 तक औसत 440 टन मत्स्य उत्पादन किया गया था।परन्तु ठेकेदारी होने के बाद विगत 6 वर्षों में औसत 120 टन मत्स्य उत्पादन रह गया है। मछूआरों द्वारा घटते मत्स्य उत्पादन का विशेषज्ञों से अध्ययन कराने की मांग सरकार से लगातार किया जा रहा है।परन्तु इस सबंध में आजतक कोई प्रगति नहीं हुआ है। इस कार्यक्रम में बरगी फेडरेशन अध्यक्ष मुन्ना बर्मन राज राजेश्वरी किला वार्ड मंडला रमेश नंदा सुनैना मछुआरा समिति पदमी दिवरीया बरमैया दीपक मछुआरा समिति पाठा सुभाष बर्मन लोकेश्वरं समिति पिपरिया रघुवीर बर्मन दुर्गा मछुआ समिति खम्हरीया रामकुमार बर्मन शिव मछुआ समिति किकरीया जगन्नाथ बर्मन सागर समिति बखारी नारायण प्रसाद बर्मन संतोष बर्मन संजू बर्मन अजमेर बर्मन गुबरा बर्मन आदि प्रमुख उपस्थित थे।
मुन्ना बर्मन (अध्यक्ष)
बरगी बांध विस्थापित मत्स्य उत्पादन
बरगी जलाशय का मत्स्य उत्पादन 2017- 18 में 55 टन 2018- 19 में 213 टन 2019- 20 में 95 टन 2020-21 में 28 टन 2021- 22 में 114 टन 2022-23 में 211 टन मात्र रह गया है। घटते मत्स्य उत्पादन के कारण मछुआरा रोजगार के लिए अन्य जलाशय में पलायन को बाध्य है।

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