ईवीएम से कंट्रोलर यूनिट हटाकर प्रिंटर जोड़ा जाए..

 

रेवांचल टाईम्स – मंडला, गांधी के बलिदान दिवस पर भारत जोड़ो अभियान का सामूहिक उपवास राष्ट्रपति के लिए सौंपा ज्ञापन
मंडला 30 जनवरी,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बलिदान दिवस पर सत्य, अहिंसा और प्रेम के मूल्यों को मजबूत करने भारत जोड़ो अभियान के सदस्यों ने सामाजिक कार्यकर्ता विवेक पवार नेतृत्व में एक दिन का सामूहिक उपवास किया। मंडला जिला मुख्यालय पर आयोजित उपवास कार्यक्रम का समापन बिछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा द्वारा सदस्यों को फल खिलाकर किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय चुनाव आयोग के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य क़ौशिल्या मरावी, भूपेंद्र वरकड़े, मंडला जनपद अध्यक्ष सोनू भलावी, रानी दुर्गावती फाउंडेशन से जनपद सदस्य रागिनी परते और जन संघर्ष मोर्चा के सदस्यों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

ज्ञापन में भारत जोड़ों अभियान के सदस्यों द्वारा कहा गया है कि चुनाव लोकतन्त्र की बुनियाद है। देश के नागरिक का अधिकार है कि वह भरोसेमंद चुनाव प्रक्रिया द्वारा अपने प्रतिनिधी के चयन हेतु अपने मत का उपयोग करें। मौजूदा ई.वी.एम. भरोसेमंद चुनाव प्रक्रिया को सम्पन्न कराने में सक्षम नहीं। देश के 10 में से 8 नागरिक वोटिंग मशीन द्वारा चुनाव प्रणाली पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। अतः आगामी चुनाव ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से हो। या ईवीएम से कंटोलर हटाकर वी.वी. पी.ए.टी. से प्रिंटर कनेक्ट हो। इस सिस्टम के साथ मतपेटी रखी हो। प्रत्येक मत प्रिंट होकर मतदाता को मिले, जिसे वह मतपेटी में डालकर पूर्णतः आश्वस्त होकर अपना मतदान कर सके।

ज्ञापन में बढ़ती साम्प्रदायिकता पर कहा गया है कि देश और समाज में निहित राजनैतिक स्वार्थों के चलते धार्मिक आस्था के उपर धार्मिक उन्माद को बढ़ावा मिल रहा है। इससे आपसी झगड़े और समाज में बड़ी फूट पैदा होते जा रही है। आये दिन अनेकों हिंसक घटनाओं के समाचार मिल रहे हैं। देश की अखण्डता और भाईचारे के लिए देश में बढ़़ रहे धार्मिक उन्माद पर त्वरित नियंत्रण हेतु प्रभावी कदम उठायें जाये। देश का संविधान नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता देता है।

ज्ञापन में आगे कहा है कि वनों से आदिवासी और अन्य परम्परागत वन निवासियों की आस्था, खाद्य सुरक्षा और जन्म से मृत्यु पर्यंत जीवन शैली का गहरा भावनात्मक जुड़ाव रहता है। यह जुड़ाव ही सदियों से जंगलों की रक्षा करता आ रहा है। वनों की यह रक्षात्मक प्रणाली दूर दूर तक स्वच्छ पर्यावरण को जनम देती है जिससे देश में धरती पर जीवन संभव है। अतः आदिवासी और अन्य परम्परागत वन निवासियों के वनों पर अधिकार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाये। इसी प्राथमिकता के चलते छत्तीसगढ़ के हसदेव अभ्यारण में नवीन कोल ब्लाक को रद्द किया जाएं।

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