कष्टों से मुक्ति पाने के लिए आज निकाल लें 5 मिनट का समय, हनुमान जी छूमंतर कर देंगे हर दुख-दर्द

सनातन धर्म में सप्ताह के सातों दिन का अपना अलग महत्व है. हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. सप्ताह का दूसरा दिन मंगलवार हनुमान जी की पूजा-अर्चना और उपासना का दिन है. इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने, व्रत रखने और कुछ ज्योतिष उपाय करने से हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है.

हनुमान जी को संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं, इससे कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी कम होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हनुमान जी की कृपा पाने के लिए मंगलवार के दिन कुछ मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए. इससे व्यक्ति को जीवन के कष्ट और परेशानियां से छुटकारा मिलता है.

मंगलवार को करें मंत्रों का जाप 

मंगल वैदिक मंत्र 

ऊँ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम अपा रेता सिजिन्नवति।

मंगल तांत्रिक मंत्र 

ऊँ हां हंस: खं ख:

ऊँ हूं श्रीं मंगलाय नम:

ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:

मंगल एकाक्षरी बीज मंत्र 

ऊँ अं अंगारकाय नम:

ऊँ भौं भौमाय नम:।।

मंगल ग्रह मंत्र

ऊँ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम ।

कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।

मंगल गायत्री मंत्र

ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।

मंगल ग्रह कवच

रक्तांबरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।

धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥

अंगारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः ।

श्रवौ रक्तांबरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥

नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।

भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥

वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।

कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥

जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।

सर्वण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥

या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।

भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम् ॥

सर्वरोगहरं चैव सर्वसंपत्प्रदं शुभम् ।

भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥

रोगबंधविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥

मंगल स्तोत्र

धरणीगर्भसंभूतं विद्युतेजसमप्रभम ।

कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम ।।

ऋणहर्त्रे नमस्तुभ्यं दु:खदारिद्रनाशिने ।

नमामि द्योतमानाय सर्वकल्याणकारिणे ।।

देवदानवगन्धर्वयक्षराक्षसपन्नगा: ।

सुखं यान्ति यतस्तस्मै नमो धरणि सूनवे ।।

यो वक्रगतिमापन्नो नृणां विघ्नं प्रयच्छति ।

पूजित: सुखसौभाग्यं तस्मै क्ष्मासूनवे नम:।।

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