रेवांचल टाईम्स डेस्क – लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित खरगोन लोकसभा सीट के लिए भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद गजेंद्र उमराव पटेल को पुन: उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने भी इस सीट पर नए चेहरे पर दांव खेला है। वाणिज्यकर विभाग से वीआरएस लेकर राजनीति एवं सामाजिक क्षेत्र में पदार्पण करने, प्रकृति, संस्कृति, संविधान और लोकतंत्र बचाओ यात्रा के माध्यम से सम्पूर्ण खरगोन लोकसभा क्षेत्र को नापने वाले सुशिक्षित, मिलनसार और जुझारू पोरलाल खरते को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। खरगोन लोकसभा सीट पर बीते तीन लोकसभा में भाजपा ने शानदार सफलता अर्जित की है। इस लिहाज से भाजपा खरगोन लोकसभा को 2024 में भी अपनी झोली में मानकर चल रहीं है। खरगोन लोकसभा में आठ विधानसभा शामिल है। आंकड़ों के लिहाज से आठ में से 5 विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है। विधानसभा चुनावों के लिहाज से लोकसभा को देखा जाए तो भाजपा के मुकाबले कांग्रेस इस लोकसभा क्षेत्र में अधिक मजबूत है। आदिवासी बाहुल्य बड़वानी जिले में चार में से तीन सीट कांग्रेस के पास है। खरगोन में दो कांग्रेस दो भाजपा के पास है। खरगोन लोकसभा में खरगोन, कसरावद, महेश्वर, भगवानपुरा, बड़वानी, सेंधवा, पानसेमल, राजपुर विधानसभा सीटें शामिल है। इन आठों सीटों में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में मात्र 1554 मतों की कुल बढ़त भाजपा के पास मौजूद है। जो बढ़त भाजपा को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 2 लाख से भी अधिक मतों की थी। वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की बढ़त मामूली रह जाना भी खरगोन लोकसभा क्षेत्र में रोचक मुकाबले के संकेत दे रहा है। वर्ष 2024 की 13 मई को होने जा रहे खरगोन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बढ़ते उत्साह का कारण क्या है? वह कौनसे कारण है जो तीन लोकसभा चुनाव में लगातार ऐतिहासिक विजयी हासिल करने वाली भाजपा की राह में रुकावट साबित हो सकते है? खरगोन लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की राह में नजर आ रहीं बाधाओं और रुकावटों पर नजर दौड़ाई तो पाया की भाजपा ने इससे पूर्व लगातार तीन लोकसभा चुनावों में अपने विजय उम्मीदवारों के टिकिट काटकर नए चेहरे मैदान में उतारकर जीत हासिल की थी। वर्ष 2009 में मकनसिंह सोलंकी भाजपा ने कांग्रेस के बाला बच्चन को पराजित किया था। भाजपा ने अपने विजय प्रत्याक्षी मकनसिंह सोलंकी का टिकिट 2014 में काट दिया गया। उनके स्थान पर नए और युवा चेहरे सुभाष पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया जिन्होंने कांग्रेस के रमेश पटेल को बड़े अंतर से पराजित किया। लोकसभा क्षेत्र में अब तक सबसे बड़े अंतर से विजय रहने वाले सुभाष पटेल भी अपनी उम्मीदवारी को कायम नहीं रख सके। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सुभाष पटेल के स्थान पर पुन: नए चेहरे गजेंद्र पटेल को उम्मीदवार बनाया और भाजपा ने सफलता प्राप्त की थी। ऐसा माना जाता है की भाजपा संगठन ने लगातार तीन लोकसभा चुनावों में चेहरे बदलकर उम्मीदवार के प्रति उपजी नाराजी को दूर किया और विजय हासिल की है। 2024 के लोकसभा चुनाव में चेहरे का दोहराव भाजपा के खिलाफ नाराजी का कारण हो सकता है ? यह सही है की लोकसभा में लगातार तीन सफलताओं के कारण भाजपा इस लोकसभा को अपनी झोली में मानकर चल रही है, किंतु वर्तमान लोकसभा सदस्य के रूप में भाजपा के गजेंद्र पटेल के पास ऐसी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है जिसके दम पर मतदाताओं के मध्य जाकर पुन: विजय का आशीर्वाद मांग सके। इसके उलट कांग्रेस के नए और युवा चेहरे पोरलाल खरते की उम्मीदवारी के बाद सम्पूर्ण लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह का वातावरण देखा जा रहा है। अमूमन हर चुनाव में गुटों में विभक्त दिखाई देने वाली कांग्रेस में अभूतपूर्व एकता दिखाई दे रही है। टिकिट घोषित होने के बाद कांग्रेस प्रबंधन समिति की भगवानपुरा के सेगाव स्थित लालबाई फूलबाई माता मंदिर में आयोजित बैठक में कांग्रेसी एक नजर आए। लोकसभा क्षेत्र के सारे नेताओं ने एक स्वर में कांग्रेस उम्मीदवार पोरलाल खरते के पक्ष में काम करने और विजय हासिल करने की बात दोहराई। इसके विपरित भाजपा में गुटबाजी दिखाई दे रही है। कार्यकर्ता आपस में एक दूसरे के प्रति आक्रमक दिखाई दे रहे है। विधानसभा चुनाव के उपरांत बड़वानी जिले के राजपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा प्रत्याक्षी अंतरसिंह दरबार के खिलाफ काम करने का आरोप लगाकर बड़वानी जिले के भाजपा जिलाध्यक्ष ओम सोनी के खिलाफ प्रदर्शन किया, सार्वजनिक रूप से पुतला दहन किया , इसके बाद भाजपा ने बड़वानी जिले में जिलाध्यक्ष को बदलने की प्रक्रिया को अंजाम दिया। कमलनयन इंगले को भाजपा का नया जिलाध्यक्ष चुना जाना भाजपा की बड़वानी जिले में व्याप्त खेमेबाजी का उदाहरण माना जा है। बड़वानी जिले में जिला जनपद चुनाव में भाजपा के दो कद्दावर आदिवासी नेताओं में व्याप्त गुटबाजी ने भी आक्रमक रुख इख्तियार किया जो पुलिस और कोर्ट तक पहुंची।
दरअसल देश और प्रदेश में लगातार सत्ता में बने रहने के परिणाम स्वरूप सत्ता जनित दोष भाजपा में साफ दिखाई दे रहे है। इन सब हालतों के मध्य नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी मतदाताओं में कितना असर डाल पाएगी यह कहना मुश्किल जान पड़ता है। आदिवासी बाहुल्य इस लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनावों के दौरान बड़वानी जिला मुख्यालय पर प्रधानमंत्री मोदी की विशाल जनसभा का आयोजन हुआ था। प्रधानमंत्री की विशाल आमसभा देखकर लगा भाजपा को जिले में बडी सफलता हासिल होगी। परिणाम जब आए बड़वानी जिले की चार में से तीन सीटों पर कांग्रेस ने विजय हासिल की। बड़वानी जिला मुख्यालय पर मध्यप्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रेमसिंह पटेल को कांग्रेस के युवा उम्मीदवार राजन मंडलोई ने बड़े अंतर से पराजित किया। सेंधवा में पूर्व मंत्री अंतरसिंह आर्य को युवा चेहरे मोंटू सोलंकी ने पराजित किया। राजपुर में कांग्रेस के बाला बच्चन ने भाजपा के अंतरसिंह दरबार को पराजित किया। भाजपा ने पानसेमल विधानसभा में सफलता हासिल की यहा भाजपा के श्याम बरडे ने कांग्रेस की विधायक चंद्रभागा किराड़े को पराजित किया था। पानसेमल में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई इस पराजय का कारण बनी थी। याने बड़वानी जिले की तीन सीटों पर प्रधानमंत्री की गारंटी नहीं चल पाई, जैसा की भाजपा ने मध्यप्रदेश में प्राप्त जबरदस्त सफलता के बाद इस विजय को मोदी गारंटी के परिणामस्वरूप बताया था। खरगोन जिले में भी भाजपा–कांग्रेस ने आधी आधी सीटों पर कब्जा बरकरार रखा। यहां जरूर महेश्वर में कांग्रेस की पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधो बड़े अंतर से पराजित हुई। पराजय तो खरगोन विधानसभा में भी हुई जहां काग्रेस के रवि जोशी को भाजपा के बालकृष्ण पाटीदार ने पराजित किया। कसरावद सचिन यादव बरकरार रखने में कामयाम रहें। भगवानपुरा में केदार डावर ने इस बार कांग्रेस के टिकिट पर बड़े अंतर से विजय हासिल की जो खरगोन लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रभाव को साफ तौर पर इंगित करता है। खरगोन जिला मुख्यालय पर लोकसभा चुनाव के कार्यालय शुभारंभ के दौरान भाजपा नेता कैलाश विजय वर्गीय का यह कहना की आदिवासी नेता दिशाहीन हो गए है। आदिवासी मतदाता भोले भाले है जो नेताओं की बातों में आ जाते है। सार्वजनिक मंच से समाज विशेष के बारे में यह कहना खरगोन लोकसभा के प्रति भाजपा की चिंता को साफ जाहिर करता है।
आदिवासी बाहुल्य इस लोकसभा क्षेत्र में पलायन बहुत बड़ी और गंभीर समस्या है। जिसका कारण स्थानीय स्तर पर रोजगार के अभाव को माना जाता है। निमाड़ अंचल के प्रमुख रोजगार के साधनों में कपास उधोग महत्वपूर्ण माना जाता है। इस उधोग पर लगातार मंदी की मार इसे खरगोन बड़वानी जिले में लगातार कमजोर कर रही है। मजदूरों के साथ कपास व्यवसायी भी अपनी इकाइयों को महाराष्ट्र स्थानांतरित करने पर मजबूर है। लोकसभा क्षेत्र में रेल मार्ग की मांग बहुत पुरानी है। यहां रेल पटरियां दिखा कर भी चुनाव जीते गए है। इंदौर मनमाड रेल लाइन को लेकर लंबे समय से आंदोलन जारी है। किंतु रेल लाइन निमाड़ के लिए अब भी सपना है। लगातार तीन बार से भाजपा यहां लोकसभा चुनाव तो विजय हो रही है किंतु इंदौर मनमाड रेल लाइन को लेकर जमीन पर कुछ नहीं दिखाई दिया। रेल लाइन इस क्षेत्र के औद्योगिक विकास को नई गति दे सकती है। इस विधानसभा क्षेत्र में मां नर्मदा की कलकल धारा औद्योगिक विकास को नए आयाम दे सकती है। नर्मदा का पानी दुरस्त आदिवासी अंचल तक पहुंचाना भी ग्रामीण किसानों की मांग है। किंतु संसद में जोरदार पहल का अभाव निमाड़ की बुनियादी जरूरतों को अब तक पूरा नहीं कर पाई। इस लिहाज से कांग्रेस के नए शिक्षित उम्मीदवार से क्षेत्र की जनता अपेक्षा कर सकती है। सच्चाई यह भी की भाजपा अपनी राह में आ रही रुकावटों को समय के पूर्व निपटाने का प्रयास करेगी। भाजपा का कुशल संगठन इन रुकावटों, बाधाओं से निपटने में सक्षम भी है। जिसके बल पर भाजपा खरगोन बड़वानी लोकसभा क्षेत्र में लगातार चौथी बार परचम लहराने का प्रयास करेगी। चुनाव प्रचार में दोनो ही दल जनता को रिझाने का प्रयास करेंगे। वर्तमान हालातो में यह कहा जा सकता है की भाजपा के मौजूदा सांसद को कांग्रेस के तेज तर्रार, युवा उम्मीदवार पोरलाल खरते से कड़ी ठक्कर मिल रही है। खरगोन बड़वानी लोकसभा क्षेत्र में चेहरे बदलकर तीन लोकसभा चुनाव में लगातार विजय प्राप्त रहने वाली भाजपा ने इस बार अपने मौजूदा सांसद पर दांव खेला है। टिकिट का यह दोहराव भाजपा के लिए कितना सफलतम प्रयोग होगा यह तो परिणामों की घोषणा के उपरांत ही बताया जा सकेगा। फिलहाल भाजपा के दोहराव के सामने कांग्रेसी नयापन चुनौती के रूप में खड़ा है। 2024 का मुकाबला खरगोन जिले में रोचक, कांटेदार और रोमांचक होने के आसार है।
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नरेंद्र तिवारी