मंडला 8 मई 2024
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर की समीक्षा करते हुए कलेक्टर डॉ. सलोनी सिडाना ने निर्देशित किया कि प्रत्येक गर्भवती महिला का समय पर पंजीयन कर उनके टीकाकरण की कार्यवाही सुनिश्चित करें। प्रत्येक गर्भवती महिला की प्रीवियस हिस्ट्री का अध्ययन करते हुए आवश्यकतानुसार उनकी जांच कराएं। जांच परिणामों के आधार पर उनकी काउंसलिंग तथा उपचार की व्यवस्था करें। स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले को सशक्त बनाएं।
कलेक्टर ने कहा कि मातृ तथा शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने में आशा कार्यकर्ता, एएनएम तथा सीएचओ की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। समीक्षा बैठकों से सीखते हुए अपने कार्यों में सुधार करने की आवश्यकता है।
2 संतान वाले दंपत्तियों को परिवार नियोजन की सलाह दें
बैठक में कलेक्टर डॉ. सलोनी सिडाना ने सभी विकासखंडों के मातृ तथा शिशु मृत्यु के प्रकरणों की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने निर्देशित किया कि स्वास्थ्य संबंधी विषयों के संबंध में समाज को जागरूक करना स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है। 2 संतान वाले दंपत्तियों को परिवार नियोजन की सलाह दें। अधिक संतान होने पर माता के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से अवगत कराएं। उन्होंने सिकलसेल से ग्रसित दंपत्तियों की भी काउंसलिंग करने के निर्देश दिए।
हाईरिस्क महिलाओं के चिन्हांकन में सावधानी बरतें
कलेक्टर डॉ. सिडाना ने निर्देशित किया कि गर्भवती महिलाओं का समय पर चिन्हांकन करते हुए उनकी अनमोल पोर्टल पर एंट्री करें। हीमोग्लोबिन, ब्लडप्रेशर, वजन एवं सुगर आदि की जांच तथा प्रीवियस हिस्ट्री के आधार पर सावधानीपूर्वक हाईरिस्क महिलाओं का चिन्हांकन करें तथा जांच रिपोर्ट में उनकी काउंसलिंग तथा उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
रेफर की स्थिति में फॉलोअप करें
कलेक्टर ने निर्देशित किया कि उपलब्ध संसाधनों के आधार पर सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में बेहतर उपचार प्रदान करें। अनावश्यक रूप से रेफर न करें। यदि किसी गर्भवती महिला को जिला चिकित्सालय अथवा मेडीकल कॉलेज रेफर किया जाता है तो संबंधित चिकित्सक उसका फॉलोअप भी करें। इस संबंध में सुमन डेस्क का भी सहयोग प्राप्त करें। इसी प्रकार डिस्चार्ज करते समय मरीजों को बरती जाने वाली सावधानियाँ एवं नुकसानदायक लक्षणों से अवगत कराएं साथ ही नियमित रूप से उनका फॉलोअप करें।
स्वस्थ्य शिशु के लिए स्वस्थ्य माँ आवश्यक
शिशु मृत्यु दर की समीक्षा के दौरान कलेक्टर डॉ. सिडाना ने कहा कि नवजात शिशु का स्वास्थ्य उसकी माँ के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है इसलिए आवश्यक है कि प्रत्येक गर्भवती महिला के पंजीयन, टीकाकरण एवं उपचार पर विशेष ध्यान दिया जाए। प्रसव के 42 दिन तक मां एवं बच्चे का प्रभावी फॉलोअप करें। उन्होंने गर्भवती महिलाओं तथा नवजात शिशुओं के टीकाकरण के संबंध में भी आवश्यक निर्देश दिए।