जिले के अंतिम छोर से उठ रही आवाज़, रोड़ नही तो बोट नही…

रेवांचल टाईम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिला जो कि बैगा आदिवासी जनजाति अधिक मात्रा में निवासरत है और आज़ादी के सात दशक से ज़्यादा समय बीतने के बाद भी ग्रामीणों की समस्याएं जस की तश है हर पांच वर्ष में चुनाव होते है नेता आते है घोषणाएं करते है और चुनाव जीतने के बाद मिस्टर इंडिया बन जाते है फिर न उनको मतदाता याद रहते है और न ही इनके द्वारा की गई घोषणाएं उन्हें केवल आपना और अपने करीबियों का भर ध्यान रहता हैं बाकी जनता तो केवल वोट देकर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए ही बनी हुई हैं।


वही इन बैगा आदिवासियों के लिये दिल्ली से भोपाल से इनकी मुलभूत सुविधाओं के लिए फंड आ रहा है पर लोगों को ये समझ नही आ रहा कि आख़िर जा कहाँ रहा है वही दूसरी और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री देश को कोने कोने को सोने की चिड़िया के साथ डिजिटल इंडिया बनाने का सपना देख रहे है और इसके लिए पैसा पानी की तरह प्रदेश की सरकार को दे रहे है और प्रदेश की सरकार जिले को भेज रही है पर ये समझ के परे है कि जो राशि आ रही वह कहाँ जा रही है।
आज गाँव गाँव को जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री योजना सड़क चलाई जा रही है।इसके बाद भी मंडला जिले के मवई विकास खण्ड जो कि छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से कुछ ग्राम लगे हुए है बैगा बस्ती संवेदनशील नक्सल प्रभावित ग्राम है बावजूद इसके इन आज भी बहुत से ऐसे ग्राम है जहां पर न बिजली है न पानी हैं और न ही सड़क है,
ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जहाँ की विकास खंड मवई के बैगा बाहुल्य ग्राम जो कि आज भी अपनी मुलभूत सुविधाओं के लिए सड़क में आना पड़ रहा है और एक जुट होकर अपनी समस्या जिला मुख्यालय में जाकर जिले की मुखिया के समक्ष जाकर लिखित आवेदन दिया है और और माँग की की रोड नही तो बोट नही, वही लिखित शिकायत में मगरवाडा टमटा मलूमछोला मूलभूत सुविधाएं से वंचित हैऔर वह आवेदन के माध्यम से आज ग्राम पंचायत बांदरबाड़ी जनपत पंचायत मवई की सबसे बड़ी पंचायत है। यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल बैगा बस्ती एवं संवेदनशील ( नक्सल प्रभावित) क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। जिसमे मुख्यतः दो वन ग्राम आते है बांदरबाड़ी और खुर्शीपर परन्तु बांदरबाड़ी के चार पोषक ग्राम है, रुरुटोला, मगरवाडा, मलुमझोला, टटमा जिसकी कुल जनसंख्या 3000 से अधिक है। आजादी के 76 साल हो गए पर आज भी इन गाँवों के ग्रामीण मूलभूल सुविधाओं से वंचित है। जैसे आवागमन के साधन (पक्की सड़क), चिकित्सा सुविधा, दूरसंचार सुविधा, इत्यादि कई समस्याएं व्याप्त है। आवागमन नहीं होने कारण स्कूल के कई बच्चे पढाई से वंचित होते जा रहे है। बीमार एवं वृद्ध व्यक्तियों को जाने आने में अत्यधिक परेशानी होती है, अधिकतर लोगों का आवागमन पैदल चल कर करते है। सभी ग्रामीणों द्वारा निर्णय लिया गया है कि टटमा से बांदरबाड़ी तक हमारे गाँव में पक्की सड़क नहीं बनेगी तब तक लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करेंगे।
वही मवई विकास खण्ड के अंतिम ग्राम और बैगा बाहुल्य ग्राम ग्रामीण जनसुनवाई और अपनी समस्याओं के लेकर जिला मुख्यालय पहुँचे और कलेक्टर महोदया से निवेदन किया है कि हमारे गाँव को इस जटिल समस्या का समाधान निकालने की महान कृपा करें। अन्यथा सभी ग्रामवासी आगामी होने वाले लोकसभा में मतदान नहीं करने का मन बना लिया है और सभी एक जुट होकर बस एक सुर में कह रहे है कि रोड नहीं तो बोट नहीं, अब अस्वाशन नही काम चाहिए अभी भी समय है।

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