वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल के ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. साथ ही पति की सुख-समृद्धि और अच्छे स्वस्थ की कामना करती हैं. आइए जानते हैं इस साल वट सावित्री व्रत कब रखा जाएगा. क्या है सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि.
कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत? (Vat Savitri Vrat 2024 Kab hai)
हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून को शाम 7 बजकर 54 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 6 जून को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगी. इसके चलते वट सावित्री 6 जून को रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून को शाम 7 बजकर 54 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 6 जून को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगी. इसके चलते वट सावित्री 6 जून को रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
क्यों रखा जाता है वट सावित्री व्रत?
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाओं को इस दिन व्रत रखना चाहिए. इससे पति को लंबी उम्र के साथ-साथ रोगमुक्त जीवन की प्राप्ति होती है. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने के साथ निर्जला व्रत रखने का विधान है. महिलाएं बरगद के पेड़ पर सफेद धागा या फिर कच्चा सूत भी बांधती हैं.
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाओं को इस दिन व्रत रखना चाहिए. इससे पति को लंबी उम्र के साथ-साथ रोगमुक्त जीवन की प्राप्ति होती है. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने के साथ निर्जला व्रत रखने का विधान है. महिलाएं बरगद के पेड़ पर सफेद धागा या फिर कच्चा सूत भी बांधती हैं.
जान लें पूजा विधि
– इस दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान करें और लाल या फिर पीले कपड़े धारण करें और शृंगार कर लें.
– इसके बाद पूजा की सामग्री को एकजगह एकत्रित कर लें.
– पहले घर पर विधि विधान से पूजा करें और फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें.
– इसके बाद किसी बरगद के पेड़ पर जाएं और जड़ में पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ और मिठाई अर्पित करें.
– इसके बाद वृक्ष पर सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें.
– फिर वट सावित्री की कथा पढ़ें. ब्राह्मणों को फल और वस्त्रों दान करने के बाद पूजा का समापन करें.
– इस दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान करें और लाल या फिर पीले कपड़े धारण करें और शृंगार कर लें.
– इसके बाद पूजा की सामग्री को एकजगह एकत्रित कर लें.
– पहले घर पर विधि विधान से पूजा करें और फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें.
– इसके बाद किसी बरगद के पेड़ पर जाएं और जड़ में पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ और मिठाई अर्पित करें.
– इसके बाद वृक्ष पर सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें.
– फिर वट सावित्री की कथा पढ़ें. ब्राह्मणों को फल और वस्त्रों दान करने के बाद पूजा का समापन करें.