दैनिक रेवाचल टाइम्स – जिले से लेकर गांव गांव में बैठें विभाग के जिम्मेदार बेलगाम हो चुके है इन्हें किसी भी बडे अधिकारी कर्मचारी का भय नज़र नहीं आ रहा है आज दिन में ये सरकारी कार्यालय होते है और शाम होते ही इसी कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी दिन भर की थकान मिटाने मय खाना बना लेते है और जो टेबल उनकी रोजी रोटी होती है वह शाम होते ही मय खाना की टेबिल में तब्दील हो जाति है और ये सब वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में होना संभव होता है क्योंकि कही न कही अधिकारी कर्मचारी को उनके ऊपर बैठें जिम्मेदार अधिकारियों का भय ही नही है क्योंकि सब मिलबाट कर सरकारी भवन सर लेकर योजनाओं में सहभागिता निभाते है।
वही जानकारी के अनुसार एक ताजा मामला सिवनी जिले के अंतर्गत आने वाली जनपद पंचायत केवलारी का है जहां पर एक वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है एवं दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो दिनांक 25/01/2024 की देर रात का है जहां पर जनपद कार्यालय केवलारी के अंदर बैठकर सहायक ग्रेड 3 गजेंद्र सिंगराहा लिपिक (बाबू ) जनपद पंचायत केवलारी एवं उनके अन्य साथी आपस में मिलकर सरेआम जाम छलक रहे थे जिसकी भनक स्थानीय कुछ व्यक्तियों को लगी जिनके द्वारा मौके पर केवलारी पुलिस को बुलवाया गया, उनकी वीडियो ग्राफी कराई गई एवं सिविल हॉस्पिटल केवलारी में एमएलसी कराई गई । किंतु वीडियो में आप स्पष्ट देख सकते हैं कि व्यक्ति शराब के नशे में है , एवं स्पष्ट कहते सुनाई देगा कि मैं शराब का सेवन करता हूं, मुझे डॉक्टर द्वारा इसकी सलाह दी गई है । यदि व्यक्ति अपने घर पर या किसी मयखाने में बैठकर तय मात्रा में शराब का सेवन करें तो किसी को कोई आपत्ति नहीं है। किंतु शासकीय कार्यालय को में बैठकर ऐसी खुलेआम शराब खोरी बेहद निदनीय है । आपको बता दें कि गजेंद्र सिंगराहा आए दिन ड्यूटी के समय में भी शराब के नशे में सराबोर रहते हैं, उन्हें ऐसे कृतों पर किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं है! इससे पहले भी स्थानीय पत्रकारों द्वारा इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को शिकायत की जा चुकी है, लेकिन आपसी तालमेल के चलेते इन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होती । यहां पर उल्लेखनीय होगा की वीडियो वायरल होने के लगभग 24 घंटे बीत गए इसके बावजूद भी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रैग रही है और उनके द्वारा वर्तमान समय तक किसी भी दोषी व्यक्ति पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई सार्वजनिक नहीं की गई है जो बेहद निदनिय है, एवं एवं उनकी कार्यप्रणाली को अनेक सवालों के घेरे में खड़ा करती है । अब देखना होगा कि मामला सार्वजनिक होने के बाद पंचायत ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी अपनी कुंभकरणी नींद से जग पाते हैं, या ऐसे शराब खोर कर्मचारियों को संरक्षण देते हैं यह तो समय की गर्त में छिपा है ।