प्रभारी प्राचार्य पर मनमानी पूर्वक अतिथि अधीक्षकों की भर्ती करने का आरोप

- हाईकोर्ट के आदेश का कर रहे अवहेलना जिला मुख्यालय अंतर्गत संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के कन्या एवं बालक छात्रावास का मामला

 

दैनिक रेवांचल टाइम्स डिंडौरी… जिला मुख्यालय अंतर्गत संचालित एकलव्य आवासीय विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य पर मनमानी पूर्वक छात्रावास में अतिथि अधिक्षकों की भर्ती करने का आरोप लगा है।

जानकारी के अनुसार एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के कन्या छात्रावास एवं बालक छात्रावास में पहले से ही एक – एक छात्रावास अधीक्षिकों की नियुक्ति कलेक्टर के द्वारा की गई है,उसके बाद भी प्रभारी प्रचार्य के द्वारा दो और अतिथि अधिक्षकों का भर्ती किया गया है। आरोप है कि प्रभारी प्राचार्य के द्वारा पूर्व से पदस्थ छात्रावास अधीक्षिकों को अतिथि अधिक्षकों को छात्रावास की संपूर्ण प्रभार देने का दबाव भी बनाया जा रहा है। मामले को लेकर पीड़ितों ने मनमानी पूर्वक भर्ती की गई अतिथि अधीक्षकों की नियुक्तियों को निरस्त कराने की मांग किया गया है।

कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किये गए शिकायत पत्र में उल्लेख किया गया है कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के कन्या/बालक छात्रावास डिंडौरी में सुचारू रूप से संचालन हेतु कलेक्टर के द्वारा वर्ष 2018 में कुमुद धुर्वे को एकलव्य छात्रावास अधीक्षिका एवं मोहन बछलहा को एकलव्य बालक छात्रावास का अधीक्षक नियुक्त गया था तथा छात्रावास भी सुचारू रूप से संचालित हो रहा था।

किन्तु इसी बीच संस्था के प्राचार्य ओपी डेहरिया का वर्ष 2023 में सेवा निवृत्त होने के उपरांत इनके स्थान पर संस्था की वैकल्पिक व्यवस्था तौर पर विद्यालय संचालन हेतु वरिष्ठ अध्यापक मनोज गवले को प्रभारी प्राचार्य का प्रभार दिया गया।

प्रभारी प्राचार्य मनोज गवले के द्वारा बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी अनुमोदन / मार्गदर्शन लिये बिना अगस्त 2023 में 02 अतिथि अधीक्षकों की नियुक्ति कर दी गई,एक को बालक छात्रावास में एक को कन्या छात्रावास में कर दिया गया है।

 

उन्होंने बताया कि छात्रावास का कार्य सही चल रहा था,फिर एक ही कार्य के लिए चार अधीक्षक नियुक्त कर दिया गया, अतिथि अधीक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रभारी प्राचार्य के द्वारा जबरन हमें अतिथि अधीक्षकों को संपूर्ण प्रभार देने हेतु आदेश जारी की गई, मौखिक रूप से कई बार कार्यालय में बोला गया एवं मौखिक रूप से हमें बार-बार बोला गया कि भोजन सही नहीं बना रहे है,आप लोगों का काम ठीक नहीं है जैसे कई प्रपंच रचे गये।

इतना होने के बाद हम दोनों अधीक्षक / अधीक्षिका उच्च न्यायालय की शरण में न्याय हेतु गये,जहां से सभी शासन के आदेशों / निर्देशों जांच करने के उपरांत ही उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा शासन एवं हमारे पक्ष में आदेश पारित किया गया एवं प्रभारी प्राचार्य के द्वारा की गई नियुक्ति अवैधानिक माना गया ।

जब उच्च न्यायालय ने उक्त नियुक्तियों को अवैधानिक शासन के नियम विरुद्ध मान लिया फिर भी उक्त दोनों अधीक्षक कार्य कर रहे हैं एवं माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पारित होने के दिनांक से ही दोनों अतिथि अधीक्षकों की नियुक्ति निरस्त किया जाना था पर ऐसा नहीं किया गया एवं आज दिनांक तक आदेश पारित होने के दो माह बीत जाने के पश्चात भी आदेश निरस्त नहीं किया गया है। और बकायदा वेतन का भुगतान भी अधीक्षकों को किया जा रहा है। पीड़ितों ने कलेक्टर से शिकायत कर उक्त दोनों नियुक्तियों को निरस्त कराने की मांग किया गया है।

पर सवाल यहां यह उठता है की रिक्त पदों पर सिर्फ अतिथि शिक्षक अधीक्षिका नियुक्त करने करने का आदेश था। परंतु जहां रिक्त पद खाली नही था इसके बाद भी प्रेनिस्पल ने आखिर क्यों रखा अतिथि अधीक्षिका अधीक्षक….??

इनका कहना है,

छात्रावास अधीक्षिका के द्वारा कार्यों में लापरवाही बरती जा रही थी,इस कारण वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने के पश्चात ही अतिथि अधीक्षिका की नियुक्ति की गई थी,मैं कलेक्टर को पत्र लिखा हूँ, जल्द ही इनको उनके स्थान पर भेज दिया जाएगा।

मनोज गवले,प्रभारी प्राचार्य,एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय डिंडौरी

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