मेरी मां मेरा हौसला : माँ से मिली सहनशक्ति और जीवन की दिशा..

 

दैनिक रेवांचल टाइम्स – अंजनिया /मंडला – एक स्त्री अपने पूरे जीवन में हर तरह का रिश्ता निभाती है वह किसी की बेटी या बहन व पत्नी के रूप में अपने सारे फ़र्ज अदा करती है l हालांकि, इनमें से सबसे ज्यादा महत्व रखने वाला रिश्ता मां का है जीवन में जिस शब्द को सुनकर सारी थकान दूर हो जाए, हर कदम पर साथ चाहिए वो माँ है l हम सभी का जीवन कठिन परिश्रम और लाखों प्रयास से भरा हुआ है, हर व्यक्ति जीवन में सफलता हासिल करने के लिए दौड़ रहा है l पैसा कमाने की धुन में व्यक्ति इतना मगन है कि शायद अपने खान-पान का भी ख्याल ना रख पाए, अक्सर काम करने के बाद भारी थकान हो जाती है l इस थकान के साथ जब घर पहुंचते हैं तो जुबान पर सबसे पहले मां का पहला शब्द होता है कुछ खाया? इस सवाल में मां की ममता होती है एक बार मां तुम हाथ माथे पर फेर देती हो तो मानो जन्नत से सुकून मिल जाता है l
यूं तो हर कोई मदर्स डे मनाने की राह पर निकल पड़ा है लेकिन सच कहूं तो ‘मां’ शब्द और मां किसी एक दिन की मोहताज नहीं है मां ईश्वर का दूसरा रूप है l जीवन में सब कुछ दोबारा बनाया जा सकता है लेकिन मां का साथ छूटने पर कभी प्राप्त नहीं हो सकता, हर दिन की शुरुआत मां से होती है l व्यक्ति के जीवन में आगे बढ़ने के लिए जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तब मां का साथ एक नया राह दिखाता है l उसके माथे की बिंदी की चमक आंखों में प्यार की किरण भेजती है सच कहूं तो, मेरी मां मेरा सारा सुख है वो मेरे लिए देवी का रूप है मेरी मां ने सिखाया कि कैसे अपनी समस्याओं का निवारण किया जाता है, वह कहती है कि जीवन में सफलता मायने नहीं रखती जरूरी है तो वो है तुम्हारा हौसला

मां से मैंनें क्या सीखा..

मेरे जीवन में मेरी मां साहस और जुझारुपन की सबसे बड़ी उदाहरण है l विपरीत परिस्थिति में धैर्यवान रहकर उसका सामना करना, मुझे मेरी मां ने सिखाया l मां ने मुझमें ये विश्वास पैदा किया कि मैं सबसे अच्छी बेटी बन सकती हूं l संकट के समय संयम और जीवन में संतुलन बनाकर चलने की कल मैंने मां से सीखी है

मुझे गर्व इस बात का है कि.. विश्लेषणात्मक सोच और समस्या को हल करने की काबिलियत मां से हमें मिलती है l दुनिया में हर मां अपने बच्चों का भला चाहती है वह हमें आशावादी होना सिखाती है l साथ ही जीवन की कठिन लड़ाइयां पर विजय प्राप्त करना हमें मां से आता है l घर पर सभी का ध्यान रखने से लेकर अपनी इच्छाओं को दबाकर अपनों की खुशियों में रम जाना , यह मैंने मां से ही सीखा है l

कैसी हुई मदर्स डे की शुरुआत..

मां के लिए इस खास दिन की शुरुआत एना रीव्स जार्विस नें की थी l इसके पीछे कहानी ऐसी है कि इस दिन एना अपनी मां एन रीव्स जार्विस को श्रद्धांजलि देना चाहती थी l उनकी मां गृह युद्ध के समय एक एक्टिविस्ट की तरह काम करती थी l जब 1904 में उनकी मृत्यु हुई तो उनके याद में उनकी पहली पुण्यतिथि पर वेस्ट वर्जिनिया नें एक आयोजन किया , जिसमें उन्होंने अन्य महिलाएं को बुलाया और उन्हें सफेद का कारनेशन दिए, जो उनकी मां के पसंदीदा फूल थे इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि हर साल मदर्स डे मनाया जाना चाहिए, तब से ही अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने 1914 में हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे की तरह मानने की घोषणा की l इस तरह हुई मदर्स डे बनाने की शुरुआत l

सामने से मां के लिए मैं कभी तारीफ करने का साहस तो नहीं जुटा पाया l लेकिन मां के खास दिन पर सभी माँओ के लिए कुछ गुणो का जिक्र कर दिया अपनी मां के साथ ही दुनिया की हर मां को मेरा प्रणाम और मदर्स डे की ढेर सारी शुभकामनाएं … वही यह छोटा सा लेख मेरे निजी विचार हैं शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता संपूर्णता के लिए

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