रेवांचल टाईम्स – मंडला, नगर में पिछले कई वर्षों लगातार वैदिक परिवार के नाम से कपिल वर्मा और रूपेश इशरानी के साथ मंडला के पर्यावरण प्रेमी युवा साथियों की एकजुट पहल ने पर्यावरण संरक्षण के लिए की ऐसी पहल जिसकी अब सब सराहना कर रहे।
दरअसल, जब उद्देश्य निःस्वार्थ होता है समर्पित होकर कार्य सतत होता है तो प्रकृति भी साथ देती है और फिर धीरे धीरे लोग भी जुड़ते जातें हैं और इसी तरह परंपराएं बनती है और फिर आने वाली पीढ़ी इसका पालन करती है। इस लेख का उद्देश्य सिर्फ यही है आने वाले पांच दस सालों में कुछ ऐसा हो कि मंडला जिले के हर ग्रामीण शहरी अंचलों में सिर्फ गोबर से निर्मित कंडो से ही होलिका दहन हो। और इसी तरह शव दाह भी सिर्फ गोबर से कंडो से ही हो हमारे जिले के आज पास सिवनी छिंदवाड़ा बालाघाट में भी कुछ जगह सिर्फ गोबर के कंडो से शवदाह किए जाने की परंपरा है। अब इसी तरह हमारे मंडला के समाज के मुखिया के द्वारा ऐसी पहल किए जाने की जरूरत है।
वैदिक परिवार के मुख्य सहयोगी और पत्रकार कपिल वर्मा ने बताया- होलिका दहन के लिए पेड़ की लकड़ी जलाकर ही होलिका दहन किया जाना कतई आवश्यक नहीं। गोबर के कंडे से होलिका दहन ज्यादा अच्छा विकल्प मौजूद है। जिसके ढेर सारे फायदे हैं । गौ पालक, पर्यावरण के हित में और प्रदूषण पर अंकुश के साथ, मानव हित के लिए भी सहयोगी है। जैविक खेती, गौ शाला, गौ संरक्षण के लिए ढेर सारी योजनाओं के बावजूद गौ माता की स्थिति आप सब जानते हैं।हम सबको खुद आगे आकर पहल करनी होगी।
वैदिक परिवार के प्रमुख सहयोगी और व्यवसायी प्रसन्न सराफ ने बताया –
वैदिक परिवार की ओर से हमारा आप सभी से निवेदन है कि सभी लोग अपने सुख,-दुख के समय प्रतिवर्ष वृक्षारोपण कर उसकी देखरेख भी करें उसके वृक्ष बनने तक की जिम्मेदारी लें। कभी भी पेड़ न काटें। अपने परिवार में शव दाह सिर्फ गोबर के कंडे से ही करें । अपने आस-पास होलिका दहन भी सिर्फ गोबर के कंडे से करें औरों को भी प्रेरित कर बेहतर पर्यावरण का संदेश दें। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी स्वच्छ सकारात्मक वातावरण में सांस ले सके ।