साल में चार नवरात्र— माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन में आते हैं। इनमें माघ और आषाढ़ में आने वाले नवरात्र को ‘गुप्त’ नवरात्र (Gupt Navratri) कहते हैं। गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा (worship) का विधान है। ये दस महाविद्याएं— मां काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं। ये दस महाविद्याएं दस रुद्रावतारों की शक्तियां हैं।
मां काली मां काली रुद्रावतार महाकालेश्वर की शक्ति हैं। इनकी साधना से विरोधियों पर विजय प्राप्ति होती है।
मां तारा तारकेश्वर रुद्र की शक्ति मां तारा की सबसे पहले उपासना महर्षि वसिष्ठ ने की थी। इन्हें तांत्रिकों की देवी माना गया है। इनकी उपासना से आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां त्रिपुर सुंदरी षोडेश्वर रुद्रावतार की शक्ति को ललिता या राज राजेश्वरी भी कहा जाता है। इनकी पूजा से धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां भुवनेश्वरी ये भुवनेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी साधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है।.
मां छिन्नमस्ता छिन्नमस्तक रुद्र की शक्ति मां छिन्नमस्ता की साधना से सभी चिंताएं दूर होती हैं और समस्त कामनाएं पूरी होती हैं।
मां त्रिपुर भैरवी रुद्र भैरवनाथ की शक्ति हैं। इनकी साधना से जीव बंधनों से मुक्त हो जाता है।
मां धूमावती धूमेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी आराधना से सभी संकट दूर होते हैं। इनकी पूजा विवाहिता नहीं बल्कि विधवा स्त्रियां करती हैं।
मां बगलामुखी बगलेश्वर रुद्र की शक्ति मां बगलामुखी की साधना से मनुष्यों को भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि प्राप्त होती है।
मां मातंगी मतंगेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी उपासना से गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती है।
मां कमला कमलेश्वर रुद्र की शक्ति हैं। इनकी कृपा से मनुष्य को धन-संतान की प्राप्ति होती है।
गुप्त नवरात्र की महिमा को आम लोगों तक ऋषि शृंगी ने पहुंचाया था। एक दिन ऋषि शृंगी अपने भक्तों के साथ आश्रम में बैठे धर्म चर्चा कर रहे थे। चर्चा समाप्त होने के पश्चात एक महिला उनके पास आई और दुखी होकर कहा कि उसका पति अनीतिपूर्ण कार्य करता है। बार-बार समझाने पर भी उसमें कोई परिवर्तन नहीं आ रहा है। इस वजह से घर में कलह रहती है और पूजा-पाठ भी नहीं हो पाता है। कृपा कर कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे शीघ्र ही उनके व्यसन दूर हो जाएं। तब ऋषि शृंगी ने उस महिला को गुप्त नवरात्र की महिमा बताते हुए दस महाविद्याओं की उपासना करने को कहा और कहा कि यह उपासना शीघ्र फलदायी है। इससे उसे अवश्य लाभ होगा। तभी से गृहस्थ लोगों में भी गुप्त नवरात्र प्रचलित हुए। इस नवरात्र की साधना को गुप्त रखा जाता है इसलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है।