नौकरी या बिजनेस में यदि लगातार नुकसान ही होता है और घर के सदस्यों के बीच अनबन बनी रहती है तो इसके पीछे का कारण पितृदोष हो सकता है. ऐसे में पितृदोष को शांत करने का उपाय करना चाहिए. पितृदोष भी एक प्रकार का पाप ही है जिसका निवारण करना आवश्यक हो जाता है.
क्या होता है पितृदोष
धार्मिक मान्यता है कि पितृदोष एक अदृश्य बाधा है जो पितरों के रुष्ट होने से होती है. कहते है. पूर्वज पितृलोक में रहते हुए भी सूक्ष्म शरीर से अपने परिवार को देखते हैं और यदि उनके परिवार के लोग उन्हें किसी भी स्थिति में याद नहीं करते हैं तो यह आत्माएं दुखित होकर श्राप दे देती हैं. इसी को पितृ दोष कहते हैं.
ज्योतिष शास्त्र और पितृदोष का संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में ग्रहों की स्थिति के बारे में भी समझ लीजिए कि किस स्थान पर दो ग्रहों की युति से इस दोष का निर्माण होता है. कुंडली में नवें घर धर्म के साथ ही पिता का स्थान भी माना जाता है. जब यह स्थान खराब ग्रहों से ग्रस्त हो जाता है तो संकेत है कि पूर्वजों की इच्छाएं अधूरी रह गई हैं. नौवां स्थान यदि राहु या केतु जैसे ग्रहों ग्रसित हो जाता है तो पितृदोष माना जाता है.
मौनी अमावस्या
मावस्या की तिथि पितरों को समर्पित होती है इसलिए इसे सर्व पितृ दोष निवारण भी कहा जाता है किंतु माघ मास की अमावस्या जो 09 फरवरी को है, इस कार्य के लिए सर्वथा उपयुक्त समय है. यदि आपकी कुंडली में भी पितृदोष है तो इस तारीख का अपने मोबाइल में रिमाइंडर लगा लें.