102वें जन्म दिवस पर याद किये गए चित्रकार हैदर रज़ा

रज़ा उत्सव में भिखरेगे कला के रंग

 

रेवांचल टाईम्स – मंडला गुरुवार को पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित मशहूर चित्रकार मरहूम सैयद हैदर रज़ा के 102वें जन्म दिवस पर पुष्पांजलि दी गई। इस मौके पर सुबह स्थानीय बिंझिया स्थित कब्रिस्तान में उनकी व उनके पिता सैयद मोहम्मद रज़ी की कब्र पर चादर पेश की गई। रज़ा उत्सव में शामिल सभी कलाकार, रज़ा फाउंडेशन के सदस्य व स्थानीय लोगों ने हैदर रज़ा को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।उल्लेखनीय है कि सैयद हैदर रज़ा को उनकी कला के भारत सरकार ने उन्हें तीनों पद्म पुरुस्कार से सम्मानित किया है। रज़ा साहब को 1981 में पद्मश्री, 2007 में पद्म भूषण और 2013 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। फ्रांस सरकार ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान लीजियों द ओनर से 2015 में विभूषित किया। मध्यप्रदेश शासन से 1981 में उन्हें राष्ट्रीय कालिदास सम्मान मिला। इतने सारे सम्मान हासिल करने वाले वे भारत के एकमात्र चित्रकार हैं।

वरिष्ठ चित्रकार अखिलेश रज़ा साहब को याद करते हुए कहा कि रज़ा साहब का आज 102 व जन्मदिन है। मंडला से निकलकर उन्होंने विश्व में ख्याति प्राप्त की है, इसका मंडला को गहरा लाभ हुआ है। जब से रज़ा फाउंडेशन ने तरह-तरह के कार्यशालाएं और प्रोग्राम ऑर्गेनाइज करने शुरू किया है, इसमें एक कला चेतना जागृत हुई है। इस दौरान हमारे यहां इस वर्ष 25 तारीख तक रज़ा उत्सव के तहत कार्यक्रम आयोजित किए गए। गुरुवार की शाम मंडला के फटॉग्रफर्स की प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा। यह प्रदर्शनी अपने में एक अद्वितीय प्रदर्शनी है जिसमें यह पता चलता है कि यहां के फटॉग्रफर्स कितने प्रतिभाशाली हैं। उनके छायाचित्र दुनिया के किसी भी छायाचित्र के कंपटीशन में खड़े हो सकते हैं। इसके साथ ही रेगुलर वर्कशॉप होती है, वह चलेगी चित्रकला की और माटी के रंग। इस वर्ष एक चीज और इंट्रोड्यूस की गई है। दो तकनीकी कलाकार आ रहे हैं, वह ग्राफिक्स भी वहां पर सिखाएंगे।

 

रज़ा उत्सव के संयोजक योगेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि रज़ा साहब अपने जन्मदिन पर शुरुआत से ही चाहे वो पर दिल्ली में हो या मुंबई में एक प्रदर्शनी किया करते थे युवाओं के प्रोत्साहन के लिए। इस वर्ष यहां पर कार्यशाला का भी आयोजन हुआ है। उसके साथ नाट्य संगीत पूनम तिवारी जो की बड़ी कलाकार उसका भी प्रदर्शन यहां पर होगा। छाप चित्र की एक नई विधि है। यहां के विद्यार्थियों को वो भी देखने और सीखने को मिलेगी।

मंडला के लेखक और गायक श्याम बैरागी ने कहा कि बिंदु से ब्रह्मांड तक के यात्री के नाम से रज़ा साहब को जाना जाता है। उन्होंने न केवल मंडला के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए उन्होंने चित्र को लेकर जिस तरह का काम किया, इसके लिए उन्हें लगातार याद किया जा रहा है, लगातार याद किया जाता रहेगा। लगभग 15 साल पहले रज़ा साहब से मेरी मुलाकात हुई थी और अपनी मातृभूमि को लेकर के अपने देश को लेकर के उनके अंदर जो प्रेम था वह बहुत अद्भुत प्रेम था। उनका लिए मैंने अभिनन्दन पत्र जब लिखा था, उनके बारे में विस्तार से पता किया था, वह बहुत अनेक दिन इंसान और बहुत बड़े कलाकार थे। यहां मंडला से विशेष लगाव उनका था। मंडला में रज़ा फाउंडेशन द्वारा लगातार जुलाई में फरवरी में कार्यक्रम होता है इससे मंडला जिले के ही कलाकार नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष से अनेक राज्यों से यहां पर कलाकार आते हैं और सीखते हैं और कोशिश यह करते है कि रज़ा साहब की चित्रकला जो विधा थी उसको आगे बढ़ने का जो प्रयास कर रहे है यह यह बहुत अद्भुत और अंगूठा है। इसके लिए मैं रज़ा फाउंडेशन को हृदय से बधाई देता हूं। धन्यवाद और शुभकामनाएं भी देता हूँ।

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