रेवांचल टाईम्स डेस्क – दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी अकेले भारत में है, ऐसा माना जा रहा है कि 2050 तक पानी एक विकराल समस्या के रूप में सामने होगा। जनसंख्या में वृद्धि, शहरीकरण, औधोगिककरण, जलवायु परिवर्तन और अकुशल जल प्रबंधन जैसे कारकों की वजह से आने वाले समय में पानी की कमी से गंभीर और दुरगामी परिणाम हो सकते हैं।सन् 2002 के आंकड़ों के अनुसार भारत की लगभग 66 करोड़ की आबादी 12 नदी बेसिनों के आसपास बसी है और इस पर निर्भर है। सन् 2050 तक इन 12 नदी बेसिनों 120 करोड़ लोगों का बोझ होगा। सन् 2002 में नर्मदा बेसिन की आबादी 1.79 करोड़ था जो सन् 2050 तक 2.9 करोड़ हो जाएगा। करोड़ों रुपये नदियों को प्रदुषण मुक्त करने के नाम पर खर्च हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई भी सरकार यह दावा करने में समर्थ नहीं हो पाई है कि अपने यहां से बहने वाली नदियों को प्रदुषण मुक्त कर दिया है। भयावहता का अंदाज़ा केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के इस आकलन से लगाया जा सकता है कि देश की 450 में से 350 नदियां प्रदुषित हैं। नदियां महज जल स्रोत ही नहीं है, भारत सहित कई देशों में यह सांस्कृतिक पहचान के साथ धार्मिक आस्था का प्रतीक है। लेकिन बढते प्रदुषण का जहर इन जीवन धाराओं को जहरीला बना रहा है और इंसानी स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। एक अध्ययन से पता चला है कि नाईट्रोजन प्रदुषण के चलते अगले 26 वर्षों में दुनिया भर में साफ पानी की भारी किल्लत हो सकती है। इकोलॉजीकल थ्रेड रजिस्टर 2020 के अनुसार भारत में करीब 60 करोड़ लोग आज पानी की जबरदस्त किल्लत का सामना कर रहे हैं। इंटरनेशनल यूनियन फाॅर कंजर्वेशन ऑफ नेचर द्वारा जारी नए विश्लेषण के अनुसार वैश्विक स्तर पर ताजे पानी में पाई जाने वाली मछलियों की करीब एक चौथाई प्रजातियों प्रदुषण के कारण विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। दुनिया भर में उपलब्ध कुल ताजा पानी में केवल 4 प्रतिशत भारत के पास है। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट की रैंकिंग के मुताबिक दुनिया के सबसे जल निर्धन देशों की सूची वाले 17 देशों में भारत 13वें स्थान पर है।आंकड़ों के अनुसार 1960 में पूरे में 30 लाख ट्यूबवेल थे। अगले 50 वर्षों में 30 करोड़ पहुँच गई। जिसके कारण भूगर्भीय जल पाताल में जा रहा है। भारत ने 2022 में भूजल पर निर्भरता को आंशिक रूप से कम किया है लेकिन पंजाब, राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली लगातार रीचार्ज से अधिक भूजल का दोहन कर रहे हैं।
दूसरी ओर दुनिया भर में पानी के कारोबार से मुनाफा कमाने का जबरदस्त उधोग फल फूल रहा है। मोटे अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में सिर्फ बोतल बंद पानी से की जाने वाली कमाई का आंकड़ा 270 बिलियन डॉलर (लगभग 22 लाख 41 हजार करोड़) के आसपास है। जबकि 2022 की रिपोर्ट अनुसार भारत में यह कारोबार 1.80 लाख करोड़ का हो गया है। हर साल भारतीय 35 अरब लीटर पानी खरीद कर पी रहे हैं। प्रत्येक वर्ष इसमें 18 प्रतिशत बढोत्तरी होना अनुमानित है।
1993 से हर साल 22 मार्च को आयोजित होने वाला विश्व जल दिवस, मीठे पानी के महत्व और उसके संरक्षण पर केन्द्रित करने वाला एक बार्षिक संयुक्त राष्ट्र दिवस है। विश्व जल दिवस 2024 के लिए मुख्य संदेश है कि”पानी शांति पैदा कर सकता है या संघर्ष भङका सकता है।”
राज कुमार सिन्हा
बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ