गरीबी में भी हसीं खुसी अपने माँ बाप और पत्नि 3 बच्चों के साथ गुजर बसर करने वाले मजदूर बेटे मचल गौंड़ को यह नही पता था की 3 दिन पहले उसका दुनिया से रुखसत होने का आखरी दिन होगा सिस्टम में फैला भ्रस्टाचार और लापरवाह अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ने हस्ते खेळते परिवार का चिराग पल भर में छिन्न गया।विकास का दम भरति साशन प्रशंसान ने इस घटना से सभी दावों की पोल खोलकर रख दी।सरकार के द्वारा सड़को के नाम पर कई योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन कैसी इसकी बानगी देखने को मिली बरगी विधानसभा के बिरहौला गाँव मे जहा वर्षों से आदिवासी बस्ती में रहने वाले 200 परिवार बिना सड़क और मूलभूत सुविधाओ के जीवन यापन कर रहे है।वही सड़क विहीन गाँव मे रहने वाले युवक मचल गौंड़ की सड़क न होने के कारण करंट लगने से समय पर अस्पताल न पहुँचने पर मौत हो गई।सड़क न होने के चलते गाँव तक एम्बुलेंस न पहुँचने के कारण घायल मचल को खाट में उठाकर 2 किलोमीटर तक मुख्य सड़क तक लाया गया।लेकिन जब तक जिंदगी की जंग लड़ रहा मचल जंग हार गया।और पीछे छोड़ गया रोते बिलखते मासूम बच्चों और बूढ़े माँ बाप को।
विकास के नाम पर बड़े बड़े दावे करने वालो को जब हादसे की सूचना दी गई तो उन्होंने अपना अपना पल्ला झाड़ लिया।वही ग्रामीणों ने चंदा कर जैसे तैसे अंतिम संस्कार करवाया।4 दिन बीत जाने के बाद भी शासन प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार गरीब परिवार की मदद ले लिए नही आया।
4 दिन बीतने के बाद जब हमने मचल के घर का मुआयना किया तो मन विचलित हो गया।एक तरफ भूख से बिलखते बच्चे दूसरी तरफ कोने में बैठे बुजुर्ग मॉ बाप अपने दिल के टुकड़े को याद कर छलकते आंखों से आंसू की एक एक बूंद मानो बेजान नदी की धारा। घर के अंदर रखें खाली कनस्तर और बर्तन गवाही देते हुए की मचल के चले जाने के बाद 6 जिंदगी की भूख प्यास की व्यवस्था अब कौन करेगा।बहरे हो चुके सिस्टम को न अपनी कमियां नजर आती है न ही उन बेसहारा गरीब परिवार के आंसू जिन्होंने अपने घर का चिराग खो दिया।
बड़े ही शर्म की बात है कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं की आस में तरस रहे लोगों को अपनी जान गवांकर भी कुछ हासिल नही हो रहा है।क्योंकि सिस्टम की आंखों में काली पट्टी जो बंधी हुई है।
Reporter – Anjali koshta
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