हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान कई विशेष चीजों का प्रयोग किया जाता है. इन सब में पान के पत्ते को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि पूजा-पाठ के दौरान पान के पत्तों का इस्तेमाल करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं. विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन में पान के पत्तों का इस्तेमाल बहुत ही जरूरी होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसे बहुत ही शुभ माना जाता है और इससे जुड़ी कई कथाएं भी प्रचलित हैं. मान्यता यह भी है कि पान के पत्तों का इस्तेमाल न करने से पूजा अधूरी रह जाती है. आइए जानते हैं, क्या है पान के पत्तों से जुड़ी मान्यताएं और क्यों किया जाता है इसे इस्तेमाल.
क्यों किया जाता है पूजा-पाठ में पान के पत्ते का इस्तेमाल?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा-पाठ के दौरान देवी-देवताओं को पान का पत्ता अर्पित करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. साथ ही इन पत्तों का हरा रंग नई शुरुआत और जीवन में सुख-समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है. धार्मिक अनुष्ठानों में पान के पत्ते का प्रयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और इससे देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
धर्म शास्त्रों में बताई गई पद्धति के अनुसार, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में पान के पत्ते त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं. वहीं लक्ष्मी पूजन के दौरान माता लक्ष्मी को पान का पत्ता अर्पित करने से धन, आरोग्यता, सौभाग्य इत्यादि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पान के पत्ते अपने गुण और सुगंध के लिए जाने जाते हैं. इसलिए कई बार देवी-देवताओं को भोग के रूप में पान भी अर्पित किया जाता है.
स्कंद पुराण में बताया गया है कि जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे, उस दौरान कई दिव्य वस्तुओं की प्राप्ति हुई थी. जिनमें से एक पान का पत्ता भी था. इसलिए पूजा-पाठ में इसका प्रयोग अनिवार्य कहा गया है. साथ ही महाभारत में भी यह उल्लेख मिलता है कि पान का पत्ता देवी-देवताओं को अर्पित करने से पूजा सफल होती है.